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shani ashtottara shatanamavali: रोज शनि के 108 नाम का जाप पीड़ा से देता है राहत, धन धान्य में भी होती है वृद्धि

शनि के 108 नाम का जाप करने से शनि पीड़ा से राहत मिलती है और धन धान्य की वृद्धि होती है तो यहां जानिए शनि अष्टोत्तर शतनामावली यानी शनि के 108 नाम..

Jul 08, 2023 / 03:10 pm

Pravin Pandey

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शनि देव के 108 नाम देंगे सुख समृद्धि

कौन हैं शनि देव
शनि देव को सूर्य देव का पुत्र और कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन आम लोगों में इनके प्रति कई भ्रांतियां हैं, ये लोग इनको मारक, अशुभ और दुख कारक मानते हैं। लेकिन शनि वास्तव में लोगों के मित्र हैं और मोक्ष देने वाले एक मात्र ग्रह हैं। शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करने वाले और लोगों के साथ उचित न्याय करने वाले माने जाते हैं। जो लोग गलत कार्य करते हैं विषमता, असमता को बढ़ावा देते हैं, शनि उनको दंडित करते हैं।

इस समय सबसे शुभ फल देते हैं शनि
भारत के ऋषियों का मानना है कि शनि जब अलसी के फूल के समान रंग में प्रकाशित होते हैं तब सबसे अधिक शुभ फल देते हैं। उनका मानना है कि रोज शनि के 108 नाम का जाप करने से शनि पीड़ा से राहत देते हैं। इन नाम का जाप करने वाले के जीवन में धन धान्य और समृद्धि लाते हैं और बिगड़ी बनने लगती है तो आइये जानते हैं शनि के 108 नाम यानी शनि अष्टोत्तर शतनामावली, जो इस प्रकार है…

शनि अष्टोत्तर शतनामावली (shani mantara)


1. ॐ शनैश्चराय नमः ।
2. ॐ शान्ताय नमः ।
3. ॐ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः ।
4. ॐ शरण्याय नमः ।
5. ॐ वरेण्याय नमः।
6. ॐ सर्वेशाय नमः।
7. ॐ सौम्याय नमः।
8. ॐ सुरवन्द्याय नमः।
9. ॐ सुरलोकविहारिणे नमः ।
10. ॐ सुखासनोपविष्टाय नमः।

11. ॐ सुन्दराय नमः ।
12. ॐ घनाय नमः।
13. ॐ घनरूपाय नमः।
14. ॐ घनाभरणधारिणे नमः।
15. ॐ घनसारविलेपाय नमः।
16. ॐ खद्योताय नमः।
17. ॐ मन्दाय नमः।
18. ॐ मन्दचेष्टाय नमः।
19. ॐ महनीयगुणात्मने नमः।
20. ॐ मर्त्यपावनपदाय नमः।

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21. ॐ महेशाय नमः।
22. ॐ छायापुत्राय नमः।
23. ॐ शर्वाय नमः।
24. ॐ शततूणीरधारिणे नमः।
25. ॐ चरस्थिरस्वभा वाय नमः।
26. ॐ अचंचलाय नमः।
27. ॐ नीलवर्णाय नमः।
28. ॐ नित्याय नमः।
29. ॐ नीलांजननिभाय नमः।
30. ॐ नीलाम्बरविभूशणाय नमः।


31. ॐ निश्चलाय नमः।
32. ॐ वेद्याय नमः।
33. ॐ विधिरूपाय नमः।
34. ॐ विरोधाधारभूमये नमः।
35. ॐ भेदास्पदस्वभावाय नमः।
36. ॐ वज्रदेहाय नमः।
37. ॐ वैराग्यदाय नमः।
38. ॐ वीराय नमः।
39. ॐ वीतरोगभयाय नमः।
40. ॐ विपत्परम्परेशाय नमः।

41. ॐ विश्ववन्द्याय नमः।
42. ॐ गृध्नवाहाय नमः।
43. ॐ गूढाय नमः।
44. ॐ कूर्मांगाय नमः।
45. ॐ कुरूपिणे नमः।
46. ॐ कुत्सिताय नमः।
47. ॐ गुणाढ्याय नमः।
48. ॐ गोचराय नमः।
49. ॐ अविद्यामूलनाशाय नमः।
50. ॐ विद्याविद्यास्वरूपिणे नमः।

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51. ॐ आयुष्यकारणाय नमः।
52. ॐ आपदुद्धर्त्रे नमः।
53. ॐ विष्णुभक्ताय नमः।
54. ॐ वशिने नमः।
55. ॐ विविधागमवेदिने नमः।
56. ॐ विधिस्तुत्याय नमः।
57. ॐ वन्द्याय नमः।
58. ॐ विरूपाक्षाय नमः।
59. ॐ वरिष्ठाय नमः।
60. ॐ गरिष्ठाय नमः।


61. ॐ वज्रांकुशधराय नमः।
62. ॐ वरदाभयहस्ताय नमः।
63. ॐ वामनाय नमः।
64. ॐ ज्येष्ठापत्नीसमेताय नमः।
65. ॐ श्रेष्ठाय नमः।
66. ॐ मितभाषिणे नमः।
67. ॐ कष्टौघनाशकर्त्रे नमः।
68. ॐ पुष्टिदाय नमः।
69. ॐ स्तुत्याय नमः।
70. ॐ स्तोत्रगम्याय नमः।

71. ॐ भक्तिवश्याय नमः।
72. ॐ भानवे नमः।
73. ॐ भानुपुत्राय नमः।
74. ॐ भव्याय नमः।
75. ॐ पावनाय नमः।
76. ॐ धनुर्मण्डलसंस्थाय नमः।
77. ॐ धनदाय नमः।
78. ॐ धनुष्मते नमः।
79. ॐ तनुप्रकाशदेहाय नमः।
80. ॐ तामसाय नमः।

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81. ॐ अशेषजनवन्द्याय नमः।
82. ॐ विशेशफलदायिने नमः।
83. ॐ वशीकृतजनेशाय नमः।
84. ॐ पशूनां पतये नमः।
85. ॐ खेचराय नमः।
86. ॐ खगेशाय नमः।
87. ॐ घननीलाम्बराय नमः।
88. ॐ काठिन्यमानसाय नमः।
89. ॐ आर्यगणस्तुत्याय नमः।
90. ॐ नीलच्छत्राय नमः।

91. ॐ नित्याय नमः।
92. ॐ निर्गुणाय नमः।
93. ॐ गुणात्मने नमः।
94. ॐ निरामयाय नमः।
95. ॐ निन्द्याय नमः।
96. ॐ वन्दनीयाय नमः।
97. ॐ धीराय नमः।
98. ॐ दिव्यदेहाय नमः।
99. ॐ दीनार्तिहरणाय नमः।
100. ॐ दैन्यनाशकराय नमः।


101. ॐ आर्यजनगण्याय नमः।
102. ॐ क्रूराय नमः।
103. ॐ क्रूरचेष्टाय नमः।
104. ॐ कामक्रोधकराय नमः।
105. ॐ कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नमः।
106. ॐ परिपोषितभक्ताय नमः।
107. ॐ परभीतिहराय नमः।
108. ॐ भक्तसंघमनोऽभीष्टफलदाय नमः।

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