शक्तिपीठ स्थापना कथाः धर्म ग्रंथों के अनुसार युगों पहले माता सती के पिता दक्ष ने एक यज्ञ किया, भगवान शिव को अपमानित करने के लिए माता सती और भगवान शिव को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया। लेकिन माता सती भगवान शिव के समझाने पर भी दक्ष के घर चली गईं, यहां दक्ष भगवान शिव को अपमानित करने लगे तो माता सती से बर्दाश्त नहीं हुआ, उन्होंने यज्ञ में कूद गईं। इससे नाराज भगवान शिव ने वीरभद्र अवतार में यज्ञ को तहस नहस कर दिया और दक्ष का सिर काट दिया। हालांकि सृष्टि की व्यवस्था को सुचारू करने के लिए देवताओं के आग्रह पर बकरे का सिर लगाकर उनको जीवन दान दिया और सती का शव लेकर चले गए।
इधर भगवान के शोक में डूबने का प्रभाव सृष्टि पर पड़ रहा था। इस पर देवताओं ने भगवान विष्णु से इसमें हस्तक्षेप का आग्रह किया तो श्रीहरि ने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर को कोट दिया। ये अंग और उनसे जुड़ी चीजें जहां-जहां गिरी, वो दैवीय ऊर्जा के स्थान बन गए और शक्तिपीठों की स्थापना हुई।
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आइये जानिए माता दुर्गा के शक्तिपीठों के बारे में
आइये जानिए माता दुर्गा के शक्तिपीठों के बारे में
1. काली पीठ (कालिका)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था, यह पीठ हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है। इसकी शक्ति है कालिका, और भैरव नकुशील।
2. हिंगलाज
यह शक्तिपीठ कराची से 125 किलोमीटर दूर है, यहां माता का ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था। इसकी शक्ति कोटरी (भैरवी-कोट्टवीशा) है। यहां के भैरव का नाम भीम लोचन है।
3. शर्कररे
यह शक्तिपीठ कराची (पाकिस्तान) के पास स्थित है। मान्यता है कि यहां माता की आंख गिरी थी, इसकी शक्ति महिषासुरमर्दिनी है और इसके भैरव को क्रोधिश कहते हैं.
4. सुगंधा
यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के शिकारपुर के पास दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है। यहां माता सती की नासिका गिरी थी, इसकी शक्ति सुनंदा और भैरव त्र्यंबक है।
5. महामाया
भारत के कश्मीर में पहलगांव के पास माता का कंठ गिरा था, इसकी शक्ति महामाया है और इसके भैरव का नाम त्रिसंध्येश्वर कहते हैं।
6. ज्वालाजी
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी, इसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं। इसकी शक्ति है सिद्धिदा (अंबिका) और भैरव का नाम है उन्मत्त।
7. त्रिपुरमालिनी
पंजाब के जालंधर में देवी तालाब, जहां माता का बायां वक्ष गिरा था वहां त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ स्थापित है। इसकी शक्ति है त्रिपुरमालिनी और भैरव भीषण।
8. जयदुर्गा-वैद्यनाथ
झारखंड के वैद्यनाथ धाम में माता का हृदय गिरा था, वहां जयदुर्गा शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता को जय माता और भैरव को वैद्यनाथ के रूप में जाना जाता है।
9. महामाया
नेपाल में गुजरेश्वरी मंदिर जहां माता के दोनों घुटने (जानु) गिरे थे, इसकी शक्ति है महशिरा (महामाया)। इसके भैरव को कपाली कहते हैं।
10. दाक्षायणी
तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था, इसकी शक्ति है दाक्षायणी और भैरव अमर। ये भी पढ़ेंः Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के दिनों में बुझ जाए अखंड ज्योति, तो डरे नहीं पर सावधान रहकर कर लें ये काम
11. विरजा
ओडिशा के विराज में उत्कल में यह शक्तिपीठ स्थित है, यहां माता की नाभि गिरी थी। इसकी शक्ति विमला है, और भैरव जगन्नाथ।
12. गंडकी
नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर है, जहां माता का मस्तक गंडस्थल यानी कनपटी गिरी थी। इसकी शक्ति है गंडकी चंडी और भैरव है चक्रपाणि।
13. बहुला
पश्चिम बंगाल के अजेय नदी तट पर बाहुल स्थान पर बहुला शक्तिपीठ स्थित है, यहां माता का बायां हाथ गिरा था। इसकी शक्ति है देवी बाहुला और इसके भैरव भीरूक।
14. उज्जयिनी
पश्चिम बंगाल के उज्जयिनी नामक स्थान पर दायीं कलाई गिरी थी, इसकी शक्ति है मंगल चंद्रिका और भैरव कपिलांबर कहते हैं।
15. त्रिपुर सुंदरी
त्रिपुरा के राधाकिशोरपुर गांव के माता बाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुर सुंदरी, इसके भैरव को त्रिपुरेश कहते हैं।
16. भवानी
बांग्लादेश में चंद्रनाथपुर पर्वत पर छत्राल ( चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी, इसकी शक्ति भवानी है और इसके भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं।
17. भ्रामरी
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के त्रिस्रोत स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था, इसकी शक्ति है भ्रामरी। इस शक्ति पीठ के भैरव को अंबर और अंबरेश्वर कहते हैं।
18. कामाख्या
असम के कामगिरि में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था, कामाख्या इसकी शक्ति और उमानंद भैरव है।
19.ललिता
यूपी के प्रयागराज में संगम तट पर माता के हाथ की अंगुली गिरी थी, इसकी शक्ति है ललिता और भैरव को भव कहते हैं।
20. जयंती
बांग्लादेश के खासी पर्वत पर जयंती मदिर है यहां माता की बाईं जंघा गिरी थी, इसकी शक्ति है जयंती और भैरव क्रमदीश्वर।
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21. युगाद्या
प. बंगाल के युगाद्या नामक स्थान पर माता के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था, इसकी शक्ति है भूतधात्री और भैरव को क्षीरखंडक कहते हैं।
21. युगाद्या
प. बंगाल के युगाद्या नामक स्थान पर माता के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था, इसकी शक्ति है भूतधात्री और भैरव को क्षीरखंडक कहते हैं।
22. किरीट
पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिले के किरीटकोण ग्राम के पास माता का मुकुट गिरा था, इसकी शक्ति है विमला, भैरव का नाम संवत्र्त कहते हैं।
23.विशालाक्षी
यूपी के काशी में मणिकर्णिका घाट पर माता के कान के मणिजड़ित कुंडल गिरे थे, इसकी शक्ति है विशालाक्षी मणिकर्णी और भैरव का नाम काल भैरव है।
24. कन्याश्रम
इस शक्तिपीठ के स्थल पर माता का पृष्ठ भाग गिरा था, इसकी शक्ति है सर्वाणी। इसके भैरव को निमिष कहते हैं।
25.सावित्री
हरियाणा के कुरूक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी। इस शक्तिपीठ की शक्ति है सावित्री और उसके भैरव का नाम स्थाणु।
26. गायत्री
अजमेर के पुष्कर में मणिबंध स्थान पर गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे, इसकी शक्ति है गायत्री और इसके भैरव को सर्वानंद कहते हैं।
27. श्रीशैल
बांग्लादेश के श्रीशैल नाम के स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था। इसकी शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शंबरानंद कहते हैं।
28. देवगर्भा
पश्चिम बंगाल के कोपई नदी तट पर कांची में माता की अस्थि गिरी थी, इसकी शक्ति है देवगर्भा और इसके भैरव का नाम रूरु है।
29. कालमाधव
मध्य प्रदेश के सोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था, जहां एक गुफा है। इसकी शक्ति है काली और भैरव को असितांग कहते हैं।
30.शोणदेश
एमपी के शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था, इसकी शक्ति है नर्मदा और भैरव को भद्रसेन कहते हैं।
31. शिवानी
यूपी के चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था, इसकी शक्ति है शिवानी और भैरव को चंड कहते हैं।
32. वृंदावन
मथुरा के वृंदावन में भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे, इसकी शक्ति है उमा। इसके भैरव का नाम को भूतेश कहते हैं।
33. नारायणी
कन्याकुमारी-तिरुअनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है, जहां माता के उर्ध्वदंत गिरे थे। इसकी शक्ति नारायणी और भैरव संहार है।
34. वाराही
पंचसागार (अज्ञात स्थान) पर माता के निचले दंत गिरे थे, इसकी शक्ति है वराही और भैरव महारूद्र।
35. अपर्णा
बांग्लादेश के भवानीपुर गांव के पास करतोया तट स्थान पर माता की पायल गिरी थी, इसकी शक्ति अपर्णा और भैरव वामन है।
36. श्रीसुंदरी
लद्दाख के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी, इसकी शक्ति है श्रीसुंदरी और भैरव का नाम है सुंदरानंद।
37. कपालिनी
प. बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक में विभाष स्थान पर माता की बायीं एड़ी गिरी थी। इस शक्ति पीठी की शक्ति है कपालिनी (भीमरूप) और भैरव का नाम है सर्वानंद।
38. चंद्रभागा
गुजरात के जूनागढ़ प्रभास क्षेत्र में माता का उदर गिरा था, इसकी शक्ति है चंद्रभागा और इसके भैरव का नाम है वक्रतुंड।
39. अवंती
उज्जैन के शिप्रा नदी तट के पास भैरव पर्वत पर माता के ओष्ठ गिरे थे, इसकी शक्ति है अवंति और भैरव लंबकर्ण।
40. भ्रामरी
महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी घाटी में माता की ठोड़ी गिरी थी, इस शक्तिपीठ की शक्ति है भ्रामरी और भैरव है विकृताक्ष। ये भी पढ़ेंः Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि में करें ये वास्तु उपाय, जीवन में आएंगे बड़े बदलाव
41. सर्वशैल स्थान
आंध्रप्रदेश के कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे, इसकी शक्ति है राकिनी और भैरव वत्सनाभम।
42. गोदावरीतीर
यहां माता के दक्षिण गंड (गाल) गिरे थे, इसकी शक्ति है विश्वेश्वरी और भैरव दंडपाणि।
43. कुमारी
प. बंगाल के हुगली नदी तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था, इसकी शक्ति है कुमारी और भैरव शिव कहते हैं।
44. उमा महादेवी
भारत नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवेस्टेशन के पास मिथिला में माता का बायां कंधा गिरा था, इसकी शक्ति है उमा और भैरव का नाम महोदर।
45. कालिका
प. बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के पास नहलाटि में माता के पैर की हड्डी गिरी थी, इसकी शक्ति है कालिका देवी और भैरव योगेश।
46. जयदुर्गा
कर्नाट (अज्ञात स्थान) पर माता के दोनों कान गिरे थे, इसकी शक्ति है जयदुर्गा और भैरव अभिरू।
47. महिषमर्दिनी
प. बंगाल के वीरभूम जिले में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रमध्य (मनः) गिरा था, इसकी शक्ति है महिषमर्दिनी और भैरव वक्रनाथ।
48. यशोरेश्वरी
बांग्लादेश के खुलना जिले में माता के हाथ और पैर गिरे (पाणिपद्म) थे। इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और इसके भैरव का नाम चंड है।
49. फुल्लरा
प. बंगाल के लाभपुर स्टेशन के पास दो किलोमीटर दूर अट्टहास स्थान पर माता के ओष्ठ गिरे थे। इसकी शक्ति है फुल्लरा और भैरव का नाम विश्वेश।
50. नंदिनी
प. बंगाल के वीरभूम जिले के नंदीपुर स्थित बरगद के वृक्ष के पास माता के गले का हार गिरा था, इसकी शक्ति है नंदिनी और भैरव नंदीकेश्वर।
51. इंद्राक्षी
श्रीलंका में त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी, इसकी शक्ति है इंद्राक्षी और भैरव का नाम राक्षेश्वर।
52. अंबिका
विराट (अज्ञात स्थान) पर माता के पैर की अंगुली गिरी थी, इसकी शक्ति है अंबिका और भैरव का नाम है अमृत।