धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महीने की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। यदि भगवान शिव के पूजन के लिए आपको बेल पत्र की जरूरत है तो इन तिथियों से पहले बेल पत्र तोड़कर रख लेना चाहिए और पूजा के दिन शुद्धता से रखा बेल पत्र चढ़ाना चाहिए।
बेल पत्र चढ़ाते समय मुख ऊपर हो
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बेल पत्र, धतूरा के पत्ते जैसे पनपते हैं, वैसे ही इन्हें भगवान पर चढ़ाना चाहिए। इनके पत्ते पौधे से निकलते समय इनका मुह ऊपर की ओर होता है। इसलिए इन पत्तों को शिवजी को चढ़ाते समय इनका मुह भी ऊपर की ओर ही रखना चाहिए।
ये भी पढ़ेंः आप भी जान सकते हैं आज कहां हैं शिव का वास
ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र
बेलपत्र चढ़ाने के लिए दाहिने हाथ की हथेली को सीधी करके मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की सहायता से फूल और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। इसके अलाव भगवान शिव पर चढ़े हुए पुष्प और बेल के पत्तों को अंगूठे, तर्जनी की सहायता से उतारना चाहिए।
कटा-फटा न हो बेलपत्र
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भोलेनाथ को चढ़ाया जाने वाला बेल पत्र जितने अधिक पत्तों वाला हो, उतना अच्छा है। इसलिए भगवान शिव को जो बेल का पत्ता चढ़ाएं वो कम से कम तीन पत्ते वाला हो। इसी को एक बेल पत्र माना जाता है। वहीं इसके साथ ही चेक कर लें कि इस पर चक्र या धारियां तो नहीं बनी वर्ना यह खंडित माना जाता है। इसके अलावा यह कटा-फटा नहीं होना चाहिए। एक ही अच्छा बेलपत्र है तो वही चढ़ाएं लेकिन कटा फटा बेलपत्र न चढ़ाएं। वहीं इसे अर्पित करते समय चिकना भाग ही शिवलिंग के ऊपर रखना चाहिए। इसी को धोकर आप बार-बार भी उस दिन की पूजा में चढ़ा सकते हैं। वहीं इसे चढ़ाने से पहले भगवान का अभिषेक जरूर करें।
ये भी पढ़ेंः Rakshabandhan Special: रक्षाबंधन पर क्यों बदला जाता है जनेऊ, जानिए इसका रहस्य और पहनने का मंत्र