मान्यता है कि आज पितर ब्राह्राण और पशु पक्षियों के रूप में अपने परिवार वालों का दिया गया तर्पण स्वीकार कर उन्हें खूब आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इस दिन विद्वान ब्राह्मण को आमंत्रित कर भोजन कराने का विधान है। इसके अलावा गरीबों को भी अन्न दान किया जाता है। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन और दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर लौटते हैं।
इस तरह से शुभ मुहूर्त में पितरों की पूजा करने से व्यक्ति विशेष पर पूर्वजों की विशेष कृपा बरसती है। मान्यता है कि जिस घर के पितृ प्रसन्न होते हैं, उन्हें के परिवार में पुत्र प्राप्ति और मांगलिक कार्यक्रम होते हैं। यह भी माना जाता है कि इस दिन पितरों के लिए किया गया तर्पण उन्हें मोक्ष प्रदान करता है।
सर्व पितृ अमावस्या पर जरूर करें ये काम
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार गुरुवार का दिन पितरों के विसर्जन के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत प्रसन्न होते हैं। क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है। इस कारण सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का विसर्जन विधि विधान से कर, उन्हें विदा करना चाहिए। इससे पितृ देव वंशज के घर को खुशियों से भर देते हैं। आइये जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या के उपाय, जिसे जरूर अपनाना चाहिए…- सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर बिना साबुन लगाए स्नान करें और फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पितरों के तर्पण के निमित्त सात्विक पकवान बनाएं और उनका श्राद्ध करें। ब्राह्मण भोजन कराएं और दान दें। संभव हो तो स्नान नदी, जलाशय या कुंड में करें और सूर्य को अर्घ्य देकर तर्पण करें। इसके अलावा पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाएं।
- शाम के समय सरसों के तेल के चार दीपक जलाएं और इन्हें घर की चौखट या छत पर रख दें, पूड़ी, मिठाई भी दरवाजे पर रखें। फिर एक दीपक लें, एक लोटे में जल लें और अब अपने पितरों को याद करें और उनसे यह प्रार्थना करें कि पितृपक्ष समाप्त हो गया है। इसलिए वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में वापस चले जाएं। मान्यता है ऐसा न करने पर पितर भूखे ही लौट जाते हैं। इसके अलावा ईशान कोण पर भी दीपक जलाएं।
- यह करने के बाद जल से भरा लोटा और दीपक को लेकर पीपल की पूजा करने जाएं, वहां भगवान विष्णु जी का स्मरण कर पेड़ के नीचे दीपक रखें, जल चढ़ाते हुए पितरों के आशीर्वाद की कामना करें। पितृ विसर्जन विधि के दौरान किसी से भी बात ना करें।