सरस्वती पूजा में गाएं यह वंदना और मंत्र, जीवन भर मिलेगा आपके बच्चे को ज्ञान का आशीर्वाद
saraswati puja mantra: वसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। कुछ लोग इस दिन पूजा के बाद बच्चों का विद्यारंभ कराते हैं, ताकि उसे मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त हो। यदि आप चाहते हैं कि आापके बच्चे पर हमेशा माता का आशीर्वाद रहे तो सरस्वती पूजा में ये मंत्र और वंदना जरूर गाएं..
Vasant Panchami Mantra: वसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja Mantra) को समर्पित है। मान्यता है कि ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माता सरस्वती का इसी दिन प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन भक्त ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। मान्यता है कि आज सरस्वती पूजा करने से विशेष ज्ञान प्राप्ति होती है।
इसके अलावा सरस्वती पूजा करने वाले व्यक्ति की सुस्ती और आलस्य दूर होता है, उसे अज्ञानता से भी छुटकारा मिलता है। बच्चों पर हमेशा सरस्वतीजी का आशीर्वाद रहे, इसके लिए कई जगहों पर शिशुओं को आज के दिन पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है, यानी विद्यारंभ के लिए यह दिन शुभ होता है।
इसीलिए माता-पिता आज के दिन शिशु को माता सरस्वती के आशीर्वाद के साथ विद्या आरम्भ कराते हैं। इसलिए सभी विद्यालयों में आज के दिन सुबह के समय माता सरस्वती की पूजा की जाती है। यह अबूझ मुहूर्त भी होता है, यानी सभी शुभ और नए कार्यों की शुरुआत के लिए यह दिन उत्तम होता है। इसलिए इस दिन शादी विवाह भी किए जाते हैं।
सरस्वती वंदना (Sarasawti Vandana)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला.. देवी सरस्वती को समर्पित प्रसिद्ध स्तुति है जो सरस्वती स्तोत्रम का एक अंश है। इस सरस्वती स्तुति का पाठ वसन्त पंचमी को करने से माता सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥ या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥ शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगत् व्यापिनी। वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥ हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्। वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥ ये भी पढ़ेंः
या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ बंसत पंचमी 2025
सरस्वती पूजा विधि
1. इस दिन सुबह जल्दी जाग कर दैनिक कार्य कर स्नान करें। 2. लकड़ी की चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर गणेशजी और माता सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना करें। 3. गणेशजी की पूजा कर माता सरस्वती की पूजा आरम्भ करें, हाथ में जल लेकर माता का ध्यान करते हुए संकल्प लें। 4. अब माता को रक्त चंदन और सिंदूर अर्पित करें।
5. माता को फल और फूल अर्पित करें। 6. मंत्रों के उच्चारण के साथ माता को मिष्ठान, पान सुपारी और फूल माला अर्पित करें। 7. इसके बाद माता सरस्वती की आरती करें और सरस्वती चालीसा का पाठ करें। 8. अंत में ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः स्वाहा का जप करते हुए हवन करें और 108 बार आहुति दें।