पूजा विधि
व्रत वाले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कर्मों से निपटकर स्नान करें। इसके बाद घर के पूजा स्थल की अच्छी तरह साफ-सफाई करके वहां माता संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
इसके बाद संतोषी माता की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें और कलश के ऊपर एक कटोरी में गुड़ व चना भरकर रखें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं।
तत्पश्चात संतोषी मां को अक्षत, पुष्प, नारियल, लाल वस्त्र और लाल चुनरी तथा सुगंधित गंध अर्पित करें। फिर मां को गुड़-चने का भोग लगाएं। इसके बाद संतोषी माता की जय बोलकर कथा पढ़ें।
कथा पढ़ने या सुनने वाले व्यक्ति को अपने हाथ में थोड़े से गुड़-चने रखने चाहिए। कथा समाप्ति पर संतोषी माता की आरती करें। साथ ही हाथ के गुड़-चने को किसी गाय को खिला दें।
इसके बाद कलश के ऊपर कटोरी में रखे हुए गुड़-चना को प्रसाद रूप में बांट दें। पूजा के अंत में कलश में भरी हुई जल को घर में सभी स्थानों पर छिड़क दें। फिर बचे हुए जल को तुलसी के पौधे में चढ़ा दें।
इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को मन में प्रसन्नता और श्रद्धा से पूजा-पाठ करने चाहिए अन्यथा व्रत का फल प्राप्त नहीं होता। साथ ही ध्यान रखें कि संतोषी माता का व्रत करने वाले व्यक्ति को इस दिन खट्टी चीजें खाने की मनाही होती है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)