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जानें बेलपत्र तोडऩे के नियम Shiv ji ko khush karne ke upay
– बेलपत्र को कभी भी पूरी टहनी के साथ नहीं तोडऩा चाहिए।
– बेलपत्र को तोडऩे से पहले भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए। वहीं जब बेलपत्र तोड़ लें, तो वृक्ष को नमस्कार जरूर करें।
– जब एक तिथि खत्म हो रही हो और दूसरी तिथि शुरू हो रही हो तो, इस समय का विशेष ध्यान रखें, इस दौरान कभी भी बेल पत्र नहीं तोडऩा चाहिए।
– बेलपत्र को कभी भी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी तिथियों, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि, अमावस्या और सोमवार के दिन नहीं तोडऩा चाहिए।
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शिव जी को बेलपत्र अर्पित करने के नियम Shiv ji ko khush karne ke upay
– पूजा के समय आपके पास बेलपत्र नहीं है तो, वहां पर चढ़ाए गए बेलपत्र को साफ पानी से धोकर दोबारा शिव जी को अर्पित किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि कभी भी बासी या जूठा बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।
– शिव जी को हमेशा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र ही अर्पित करना चाहिए। यदि पांच पत्तियों वाला बेल पत्र हो तो सोने पर सुहागा होगा।
– बेल पत्र कटे-फटे या मुरझाए या दाग-धब्बे वाले नहीं होने चाहिएं।
– बेलपत्र को साफ पानी से धोने के बाद उसके चिकने हिस्से को शिव जी को अर्पित करें। वहीं रूखे हिस्से को ऊपर की ओर रखना चाहिए।
– शिवजी को कम से कम 1 बेलपत्र चढ़ा सकते हैं। लेकिन यदि आप व्यवस्था कर सकें, तो 11, 21 की संख्या में भी बेलपत्र चढ़ाया जा सकता है।
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बेलपत्र चढ़ाने से बरसती है शिव की कृपा
– भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने से शिव की कृपा से सभी संकट दूर होते हैं और सेहत भी अच्छी रहती है।
– भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से दरिद्रता दूर होती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है।
– जो महिलाएं शिव पूजा के समय बेलपत्र अर्पित करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।
– यदि मनोकामनाओं को पूरा करना चाहते हैं तो बेलपत्र पर चंदन से राम या फिर ओम नम: शिवाय लिखकर शिवजी को अर्पित करें।
– माना जाता है कि जिन घरों में बिल्व वृक्ष होता है, वहां के लोग पाप मुक्त होते हैं। पेड़ के नीचे पूजा पाठ करने से उन्हें पुण्य फल की प्राप्ति होती है।