bell-icon-header
धर्म और अध्यात्म

राधा अष्टमी कथा सुनने से व्यक्ति होता है सुखी, सम्मानित और धनी

Radha Ashtami Katha: राधे कृष्ण मंत्र जपते आपने लोगों को देखा होगा, इस नाम जाप की महिमा निराली है। इस कारण त्रिदेव भी इनको भजते हैं। भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी को इन्हीं राधाजी का प्राकट्योत्सव राधा अष्टमी के रूप में मनाई जाती है। राधा अष्टमी पर आइये जानते हैं राधा रानी की वह कथा जिसके सुनने मात्र से व्यक्ति सुखी, सम्मानित और धनी होने का आशीर्वाद पा जाता है। आइये पढ़ें राधा अष्टमी कथा .

जयपुरSep 11, 2024 / 03:26 pm

Pravin Pandey

राधा अष्टमी कथा

राधा अष्टमी की कथा

Radha Ashtami Katha: धार्मिक ग्रंथों में वर्णित राधा रानी की कथा के अनुसार एक बार नारद जी भगवान सदाशिव के पास पहुंचे और प्रणाम कर पूछा ‘‘हे भगवान ! मैं आपका दास हूं। मेरी एक जिज्ञासा है, कृपया उसे शांत कर दीजिए, श्री राधादेवी लक्ष्मी हैं या देवपत्नी। महालक्ष्मी हैं या सरस्वती हैं?  क्या वे अंतरंग विद्या हैं या वैष्णवी प्रकृति हैं? वे वेदकन्या हैं, देवकन्या हैं या मुनिकन्या हैं?’’ इस पर सदाशिव बोले – ‘‘हे मुनिवर ! अन्य किसी लक्ष्मी की बात क्या कहें, कोटि-कोटि महालक्ष्मी भी राधाजी के चरण कमल की शोभा के सामने तुच्छ हैं।
हे नारद जी ! मैं तो श्री राधा के रूप, लावण्य और गुण आदि का वर्णन करने मे खुद को असमर्थ पाता हूं। तीनों लोकों में कोई भी ऐसा समर्थ नहीं है जो उनके रूप आदि का वर्णन करके पार पा सके। उनकी रूपमाधुरी जगत को मोहने वाले श्रीकृष्ण को भी मोहित करने वाली है। यदि अनंत मुंह से चाहूं तो भी उनका वर्णन करने की मुझमें क्षमता नहीं है।’’
ये भी पढ़ेंः अगर भूल से देख लिया गणेश चतुर्थी का चांद तो जरूर पढ़ें यह मंत्र, वर्ना लगेगा झूठा आरोप

नारदजी बोले – ‘‘हे प्रभो श्री राधिकाजी के जन्म का माहात्म्य सब प्रकार से श्रेष्ठ है। मैं उसको सुनना चाहता हूं।’’ हे भगवान ! सब व्रतों में श्रेष्ठ श्री राधाष्टमी व्रत के बारे में मुझे बताइये। ’’
इस पर शिवजी ने बताया कि – ‘‘वृषभानुपुरी के राजा वृषभानु महान उदार थे। वे महान कुल में उत्पन्न हुए और सब शास्त्रों के ज्ञाता थे। अणिमा-महिमा आदि आठों प्रकार की सिद्धियों से युक्त, श्रीमान, धनी और उदारचेत्ता थे। वे संयमी, कुलीन, सदविचार वाले भगवान श्री कृष्ण के आराधक थे। उनकी भार्या श्रीमती श्रीकीर्तिदा थीं। ये भी महालक्ष्मी के समान भव्य रूप वाली और परम सुंदरी थीं। वे सर्वविद्या और गुणों से युक्त, कृष्णस्वरूपा और महापतिव्रता थीं। उनके गर्भ से ही भाद्रपद की शुक्ल पक्ष्टष की अष्टमी को मध्याह्न काल में श्रीवृन्दावनेश्वरी श्री राधिकाजी प्रकट हुईं थीं।

ऐसे करनी चाहिए राधाजी की पूजा

शिवजी ने नारद जी को बताया कि राधा अष्टमी के दिन व्रत रखकर उनकी पूजा करनी चाहिए। इसके लिए श्री राधाकृष्ण के मंदिर को ध्वजा, पुष्पमाल्य, वस्त्र, पताका, तोरणादि से सजाना चाहिए। पांच रंग के मंडप बनाकार उसके भीतर षोडश कमल यंत्र के बीच राधा कृष्ण की मूर्ति (मुंह पश्चिम की ओर रहे) स्थापित करें। इसके बाद राधा जी की स्तुति और ध्यान करें और उन्हें सुगंध, पुष्प, फल, धूपादि अर्पित करें। पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और रात में जागरण करते हुए राधाकृष्ण का कीर्तन करें।

राधा अष्टमी व्रत कथा का महत्व

शिवजी ने नारद जी को बताया कि जो मनुष्य भक्ति से राधा अष्टमी का अनुष्ठान करता है, वह श्री राधाकृष्ण के सानिध्य में श्रीवृंदावन में स्थान पाता है और व्रजवासी बनता है। श्री राधाजन्म- महोत्सव का कीर्तन करने से मनुष्य भवबंधन से मुक्त हो जाता है।  जो व्यक्ति राधा नाम और राधा जन्माष्टमी व्रत की महिमा गाता है उसे सभी तीर्थों का फल और विद्या मिलती हैं। शिवजी ने कहा कि जो व्यक्ति श्री राधिकाजी को भजता है, उन्हें याद रखता है, उसे  मैं भजता हूं और उसे मेरी कृपा प्राप्ति होती है।
राधा नाम स्मरण निष्फल नहीं होता, श्री राधाजी सर्वतीर्थमयी और ऐश्वर्यमयी हैं। श्री राधा भक्त के घर से कभी लक्ष्मी विमुख नहीं होतीं। जो राधा का ध्यान करते हैं उसके घर श्री राधाजी के साथ श्री कृष्ण भी वास करते हैं।यह सब सुनकर मुनिश्रेष्ठ नारदजी ने श्री राधाष्टमी में यजन-पूजन किया! जो मनुष्य इस लोक में राधाजन्माष्टमी व्रत की यह कथा सुनता है, वह सुखी, सम्मानित, धनी और सर्वगुणसंपन्न हो जाता है।
शिव जी के अनुसार जो व्यक्ति धर्म के लिए राधा मंत्र जपता है उसका मन धर्म में तल्लीन होता है, जो धन चाहता है उसे धन मिलता है और जो कामार्थी या मोक्षार्थी है उसे ये चीजें प्राप्त होती हैं।  श्री राधा की भक्ति करने वाला सुखी, विवेकी और निष्काम हो जाता है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / राधा अष्टमी कथा सुनने से व्यक्ति होता है सुखी, सम्मानित और धनी

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.