धर्म और अध्यात्म

Pitru Paksha: यहां सीताजी ने किया था पूर्वजों का तर्पण, महिलाओं के पिंडदान करने से पूर्वजों को मिलती है मुक्ति

Pitru Paksha Matra Navami पितृ पक्ष में श्राद्ध अक्सर बेड़े बेटे या छोटे बेटे को करते देखा होगा। मान्यता है कि इन्हीं का जल पूर्वजों को प्राप्त होता है, इसलिए ऐसे स्थान शायद ही मिलें, जहां पितरों के मोक्ष के निमित्त महिलाएं श्राद्ध-तर्पण करते दिखें। लेकिन यूपी के मीरजापुर जिले में एक धार्मिक स्थल है जहां श्राद्ध पक्ष की मातृ नवमी पर महिलाएं श्राद्ध और तर्पण करती हैं और इस जगह से माता सीता का गहरा नाता है। श्राद्ध पक्ष की कृष्ण नवमी यानी मातृ नवमी पर इस जगह पर महिलाओं के द्वारा पूर्वजों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होने की बात कही जाती है तो आइये जानते हैं उस जगह के बारे में जहां महिलाएं श्राद्ध-तर्पण करती हैं और इसका महत्व और रहस्य क्या है..

Oct 06, 2023 / 10:40 pm

Pravin Pandey

मातृ नवमी पर सीता कुंड मीरजापुर में महिलाएं करती हैं तर्पण

क्या है मान्यता
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मीरजापुर के शिवपुर गांव में राम गया घाट से कुछ दूरी पर अष्टभुजा मंदिर के पश्चिम दिशा की ओर कालीखोह में माता सीता ने कुंड खुदवाया था। मान्यता है कि सीता कुंड पर ही मां सीता ने अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया था। इसीलिए विंध्य क्षेत्र में मातृ नवमी के दिन महिलाएं यहां पितरों की प्रसन्नता के लिए तर्पण और पिंडदान करती हैं। मान्यता है कि यहां पर तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
यह है पूरी कहानी
स्थानीय तीर्थ पुरोहितों के अनुसार भगवान श्रीराम जब दशरथ और अन्य पितरों की मोक्षकामना से गया श्राद्ध करने जाने लगे तो उन्होंने प्रथम पिंडदान अयोध्या में सरयू तट पर, दूसरा प्रयाग के भारद्वाज आश्रम, तीसरा विंध्य के राम गया घाट पर और चौथा काशी के पिशाचमोचन को पार कर गया में किया। इसी समय मां सीता ने सीता कुंड का सृजन कर पुरखों का तर्पण किया। इसी परंपरा के मुताबिक महिलाएं यहां मातृ नवमी को पितरों का तर्पण करती हैं।
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दूसरे राज्यों से भी तर्पण करने आती हैं महिलाएं
मातृ नवमी पर यहां तर्पण की महिमा को देखते हुए पूर्वजों के प्रसन्न करने के लिए मीरजापुर के सीता कुंड पर आसपास के राज्यों से भी महिलाएं यहां आती हैं और पितरों का तर्पण करती हैं। यहां के जल से तर्पण करने से पितरों को सीधे जल मिलता है। उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
माता सीता ने बनाई अपनी रसोई
विंध्याचल धाम से तीन किमी दूरी पर अष्टभुजा के पश्चिम भाग में थोड़ी दूरी पर सीता कुंड के पास ही माता ने रसोई भी बनाई थी। जल की आवश्यकता पड़ने पर भगवान श्रीराम ने तीर मारकर पानी का स्रोत निकाला था, जिसके बाद से यहां सदैव जल भरा रहता है।

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