गणेशजी को बना दिया एकदंतः एक कथा के अनुसार भगवान परशुराम एक बार अपने आराध्य शिव से मिलने कैलाश पहुंचे। यहां माता शिव और पार्वती ने गणेशजी को किसी को उधर न आने देने के लिए नियुक्त किया था। इससे गणेशजी ने उनका रास्ता रोक लिया। यह बात परशुरामजी को नागवार गुजरी और दोनों में युद्ध शुरू हो गया। क्रोध में आकर परशुरामजी ने गणेशजी के दांत पर वार कर दिया,जिससे उनका एक दांत टूट गया और वो एकदंत कहे जाने लगे।
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जब भगवान राम को ललकाराः सीता स्वयंवर के समय जब भगवान राम ने शिवजी का धनुष तोड़ा तो कुपित परशुराम वहां पहुंच गए थे। यहां उन्होंने भगवान राम को युद्ध के लिए ललकारा, इस बीच उनका लक्ष्मणजी से रोचक संवाद भी हुआ। लेकिन परशुराम का क्रोध शांत नहीं हो रहा था, इस पर भगवान राम ने परशुराम को खुद के विष्णुजी का अवतार होने का आभास कराया। इस पर परशुराम का गुस्सा शांत हुआ।
जब भगवान राम को ललकाराः सीता स्वयंवर के समय जब भगवान राम ने शिवजी का धनुष तोड़ा तो कुपित परशुराम वहां पहुंच गए थे। यहां उन्होंने भगवान राम को युद्ध के लिए ललकारा, इस बीच उनका लक्ष्मणजी से रोचक संवाद भी हुआ। लेकिन परशुराम का क्रोध शांत नहीं हो रहा था, इस पर भगवान राम ने परशुराम को खुद के विष्णुजी का अवतार होने का आभास कराया। इस पर परशुराम का गुस्सा शांत हुआ।
कृष्ण को दिया सुदर्शनः भगवान परशुराम की मुलाकात द्वापर में भगवान विष्णु के एक अन्य अवतार से हुई थी। कथा के अनुसार भगवान कृष्ण सांदीपनि ऋषि के आश्रम में जब शिक्षा पूरी कर चुके, तब परशुराम वहां आए और सुदर्शन चक्र भगवान कृष्ण को सौंपा। कहा यह युग आपका है, अपना युग संभालिए, यहां पाप बहुत बढ़ गया है। इसका भार कम कीजिए।