भगवान विष्णु के छठें अवतार परशुराम की जयंती (Parashuram Janmotsav) वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया को मनाई जाती है। यह तिथि 22 अप्रैल को पड़ रही है। जानिए इस दिन पूजा का मुहूर्त क्या है और परशुराम जन्मोत्सव पूजा विधि क्या है।
परशुराम जन्मोत्सव मुहूर्तः वैशाख शुक्ल तृतीया की शुरुआत 22 अप्रैल शनिवार सुबह 7.49 एएम से हो रही है और यह तिथि 23 अप्रैल 7.47 एएम पर हो रही है। मान्यता है कि इनका जन्म प्रदोषकाल में हुआ था। इसलिए उसी समय परशुराम जयंती मनाई जाती है और परशुराम जन्मोत्सव की पूजा प्रदोषकाल में 22 अप्रैल को होगी। मान्यता है कि परशुराम अमर हैं और भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के गुरु बनेंगे। उडिपी के पास पजाका में इनका प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि एकाग्र मन से परशुराम जी की पूजा से ये मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
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परशुराम जन्मोत्सव पूजा विधि (Parashuram Jayanti Puja Vidhi)
1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले हुए पानी से स्नान करें।
2. भगवान विष्णु की पूजा करें।
3. सूर्य देव को स्मरण कर परशुरामजी का ध्यान करें।
4. पीले रंग के फूल, मिठाई अर्पित करें। धूप, दीप जलाएं।
परशुराम जन्मोत्सव पूजा विधि (Parashuram Jayanti Puja Vidhi)
1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले हुए पानी से स्नान करें।
2. भगवान विष्णु की पूजा करें।
3. सूर्य देव को स्मरण कर परशुरामजी का ध्यान करें।
4. पीले रंग के फूल, मिठाई अर्पित करें। धूप, दीप जलाएं।
5. आरती कर कुशल मंगल की कामना करें। यथा शक्ति दान दें। प्रसाद बांटें
6. निराहार व्रत रखें।
7. प्रदोषकाल में दोबारा पूजा अर्चना करें।
8. अगले दिन पूजा अर्चना के बाद भोजन कर व्रत पूरा करें।
6. निराहार व्रत रखें।
7. प्रदोषकाल में दोबारा पूजा अर्चना करें।
8. अगले दिन पूजा अर्चना के बाद भोजन कर व्रत पूरा करें।
ये भी पढ़ेंः 15 मई तक इन राशियों के लिए समय खतरनाक, बचाव के लिए करें ये उपाय ये है कथाः धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्राचीनकाल में महिष्मती नगर में सहस्त्रबाहु नाम का निर्दयी राजा राज्य करता था। उसके अत्याचार से प्रजा में त्राहिमाम मच गया था। इस बीच ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका ने पुत्र प्राप्ति के लिए महान यज्ञ किया।
इससे प्रसन्न होकर इंद्रदेव ने उन्हें तेजस्वी पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इधर, माता पृथ्वी से पुत्रों की दुर्दशा देखी नहीं गई तो वो जगत के पालनहार भगवान विष्णु के पास पहुंची, उन्होंने भगवान को सारा हाल कह सुनाया। इस पर भगवान ने उनके दुख दूर करने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि वे महर्षि जमदग्नि के घर पुत्र रूप में जन्म लेकर सहस्त्रबाहु का वध करेंगे।
बाद में अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु ने अवतार लिया। ऋषि जमदग्नि उनका नाम राम रखा, भगवान राम ने शस्त्र की शिक्षा शिव जी से ली और उनको प्रसन्न किया जिसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव ने इन्हें फरसा दिया। इसके बाद इनका नाम परशुराम पड़ गया। बाद में उन्होंने सहस्त्रबाहु का वध कर धरती को उसके पापों से मुक्त कराया। उनके गुस्से को महर्षि ऋचीक ने शांत किया।