1. लक्ष्मी मूर्ति का दान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लक्ष्मी माता को धन और ऐश्वर्य की देवी माना गया है जिनकी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि की कभी कमी नहीं होती। वहीं लक्ष्मी माता की पूजा के दौरान भी हम उनसे हमारे निवास स्थान पर ही वास करने की प्रार्थना करते हैं। इसलिए माना जाता है कि कभी भी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर का दान कर नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसका अर्थ है कि आप अपने घर की लक्ष्मी को विदा कर रहे हैं। साथ ही चांदी के ऐसे सिक्के जिन पर लक्ष्मी गणेश अंकित होते हैं उनका दान भी शुभ नहीं माना जाता।
2. पात्रों का दान
विभिन्न धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि पात्रों का दान कभी भी संतुष्ट व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए। क्योंकि संतुष्ट अथवा संपन्न व्यक्ति आपके द्वारा दिए पात्रों को इस्तेमाल में ना लेकर घर के किसी कोने में पटक देगा और इससे आपको अपने दान का पुण्य भी प्राप्त नहीं हो पाता। इसलिए पात्रों का दान हमेशा जरूरतमंद और योग्य लोगों के लिए ही उत्तम माना गया है ताकि वे इसका उपयोग करते समय आपको दुआ दें।
3. धार्मिक पुस्तकों का दान
धार्मिक पुस्तकों का दान कभी भी नास्तिक या ऐसे लोगों को नहीं देना चाहिए जिन्हें धर्म में कोई रुचि नहीं हो। ऐसे लोग आपकी दान की हुई धार्मिक पुस्तकों को बोझ समझकर उसे कहीं कोने में पटक देंगे। और इससे आपको अपने दान से पुण्य फल नहीं पाएगा बल्कि पाप चढ़ेगा। इसलिए जीवन में उन्नति और सुख-समृद्धि की चाह है तो भी धार्मिक पुस्तकों का दान कभी भी अधर्मी लोगों को नहीं करना चाहिए।
4. अन्न का दान
भोजन का दान सबसे बड़ा माना गया है। किसी भूखे या जरुरतमंद व्यक्ति को खाना खिलाने से भगवान भी प्रसन्न होते हैं और आपको उस व्यक्ति की दुआएं भी मिलती हैं। जिनसे आपके जीवन में सौभाग्य आता है। लेकिन ध्यान रखें कि कभी भी अपना झूठा या बासी भोजन का दान नहीं करना चाहिए। इससे भूखे व्यक्ति के साथ ही मां अन्नपूर्णा का भी अपमान होता है।