अंगूर के रस से जीवित हो उठी मृत महिला
इधर, नीम करोली बाबा झांसी में चंद्र शेखर पांडे के घर पहुंचे और पूछा कि तुम्हारी पत्नी कैसी है? पांडे बाबा को नहीं पहचानते थे तो पूछा कि आप कौन हैं। इस पर बाबा ने उत्तर दिया, “बाबा नीम करोली। ” इस पर पांडे ने कहा, ”वह अंदर मृत पड़ी है, नीम करोली बाबा ने कहा, “क्या तुम उसे मुझे दिखाओगे?” इस पर चंद्र शेखर पांडे नीम करोली बाबा को भीतर ले गए। बाबा ने उसके शव को देखकर कहा, “यह अभी मरी नहीं है। क्या आपके घर में कुछ अंगूर हैं? उन्हें, और एक कटोरा और एक चम्मच ले आओ। बाबा ने अंगूरों को हाथ में दबाकर थोड़ा सा अंगूर का रस निकाला और उस रस को उसके मुंह में डाल दिया।
इसके बाद चंद्र शेखर पांडे की पत्नी की नाड़ी धड़कने लगी और कुछ ही क्षणों में उसने आंखें खोल दीं। बाबा ने कहा, “उसे अंगूर का रस और दूध पिलाओ, वह ठीक हो जाएगी।” इसके बाद नीम करोली बाबा चले गए। पांडे की पत्नी की तबीयत ठीक होने लगी और बिना किसी उपचार के वह फिर से स्वस्थ हो गईं। बाद में पता चला कि जब पांडे की पत्नी छह साल की थी तब बाबा मोतीराम के घर आए थे।
इसी समय पड़ोसी के घर में किसी की मृत्यु हो गई थी और बच्ची ने यह पहली बार देखा तो उसके कोमल हृदय को सदमा लग गया। इस समय नीम करोली बाबा ने छह साल की लड़की की कोमलता देख प्यार से कहा कि “तुम्हें जो मांगना है मांग लो।” उसने कहा कि “बाबा जब मैं मर जाऊं तो मुझे वापस जीवित कर देना।” बाबा अपनी बात पर कायम थे, लेकिन उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहा और अब बाबा ने लड़की यानी चंद्र शेखर पांडे की पत्नी को दिया वचन अब निभाया था।