नाग पंचमी की कथा 2
एक अन्य कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय वासुकी नाग को रस्सी बनाया गया था। जहां देवताओं ने वासुकी नाग की पूंछ पकड़ी थी, वहीं दानवों ने उनका मुंह पकड़ा था। मंथन में पहले विष निकला जिसे भगवान शिव ने कंठ में धारण किया और समस्त लोकों की रक्षा की। इसके बाद निकले अमृत को देवताओं को दिया गया। यह घटना सावन शुक्ल पंचमी तिथि को हुई थी, इसमें नागों के योगदान को याद करने के लिए नाग पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।नागपंचमी की कथा 3
एक अन्य कथा के अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी को ही भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन के लोगों की जान कालिया नाग से बचाई थी। भगवान ने सांप के फन पर नृत्य भी किया था। जिसके बाद वो नथैया कहलाए थे। तब से ही नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है।
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नागपंचमी की कथा 4
एक कथा के अनुसार एक राजा के सात बेटे थे, सभी के विवाह हो चुके थे। लेकिन सबसे छोटे बेटे को कोई संतान नहीं हुई थी, इससे छोटी बहू को उनकी जिठानियां ताने मारती थीं। इससे वह अक्सर रोनी लगती, पति समझाता तो भी बहू का दुख कम नहीं होता था। इसी तरह समय बीतता रहा, एक बार नागपंचमी से पहले उसे स्वप्न आया, सपने में उसे पांच नाग दिखाई दिए उसमें से एक ने उससे कहा, अरी पुत्री कल नागपंचमी है, कल अगर तू हमारा पूजन करे तो तुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है। यह सुनकर वह जाग गई और पति को सारी बात बताई। इस पर पति ने कहा कि इसमें कौन सी बड़ी बात है। पांच नाग दिखाई दिए हैं तो पांचों की आकृति बनाकर पूजन कर देना। नाग लोग ठंडा भोजन करते हैं, इसलिए कच्चे दूध से उन्हें प्रसन्न करना। छोटी बहू ने वैसा ही किया और नौ महीने बाद उसे पुत्र की प्राप्ति हुई।