कब है मातंगी जयंतीः वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया यानी अक्षय तृतीया के दिन मातंगी जयंती मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह अप्रैल मई में पड़ती है। इस साल यह तिथि रविवार 23 अप्रैल को पड़ रही है।
मातंगी जयंती पूजा का महत्वः धार्मिक कथाओं के अनुसार जो व्यक्ति देवी मातंगी की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन के सारे सुख प्राप्त होते हैं। वह व्यक्ति सभी प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है और देवी मातंगी की पूजा करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इनकी पूजा करने से साधक को ललित कला, नृत्य और संगीत में उत्कृष्टता प्राप्त होती है।
इनकी पूजा से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। पूजा करने वाले के हर कार्य सिद्ध होते हैं, इनके भक्त की शत्रुओं पर विजय होती है। देवी भक्त को सद्भाव और शांति से खुशहाल जीवन जीने का आशीर्वाद देती हैं। सूर्य के अशुभ प्रभावों से छुटाकारा पाने के लिए भी इनकी पूजा और अनुष्ठान को संपन्न किया जाता है।
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ऐसे करते हैं माता मातंगी की पूजा
1. सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
2. इसके बाद घर को गंगाजल से शुद्ध कर एक चौकी पर वेदी बनाकर माता मातंगी की प्रतिमा रखें।
3. अगरबत्ती और दीया जलाएं, फल, दीप, अक्षत अर्पित करें।
4. फूल, नारियल, माला, प्रसाद चढ़ाइये, वस्त्र, कुमकुम और श्रृंगार का सामान भेंट करें।
ऐसे करते हैं माता मातंगी की पूजा
1. सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
2. इसके बाद घर को गंगाजल से शुद्ध कर एक चौकी पर वेदी बनाकर माता मातंगी की प्रतिमा रखें।
3. अगरबत्ती और दीया जलाएं, फल, दीप, अक्षत अर्पित करें।
4. फूल, नारियल, माला, प्रसाद चढ़ाइये, वस्त्र, कुमकुम और श्रृंगार का सामान भेंट करें।
5. देवी मातंगी की आरती करें और मातंगी माता के मंत्रों का जाप करें।
6. परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटें।
7 इस दिन गरीबों को यथासंभव दान भी करना चाहिए।
8. इस दिन छोटी लड़कियों की देवी के रूप में पूजा की जाती है और उन्हें प्रसाद चढ़ाया जाता है।
मातंगी माता का मंत्र
ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा॥ ऐसे करें माता मातंगी का ध्यान
श्यामांगी शशिशेखरां त्रिनयनां वेदैः करैर्विभ्रतीं,
पाशं खेटमथांकुशं दृढ़मसिं नाशाय भक्तद्विषाम् ।
रत्नालंकरणप्रभोज्जवलतनुं भास्वत्किरीटां शुभां,
मातंगी मनसा स्मरामि सदयां सर्वाथसिद्धिप्रदाम् ।। मातंगी माता की कथाः इस कथा के अनुसार मतंग ऋषि ने कई साल तक अनेक कष्ट सहते हुए कदंब वन में तपस्या की थी। उनकी तपस्या के कारण उनकी आंखों से एक उज्ज्वल ज्योति निकली और उसने लड़की का रूप धारण कर लिया। इन्हीं माता को मातंगी यानी मतंग ऋषि की पुत्री कहा गया।
ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा॥ ऐसे करें माता मातंगी का ध्यान
श्यामांगी शशिशेखरां त्रिनयनां वेदैः करैर्विभ्रतीं,
पाशं खेटमथांकुशं दृढ़मसिं नाशाय भक्तद्विषाम् ।
रत्नालंकरणप्रभोज्जवलतनुं भास्वत्किरीटां शुभां,
मातंगी मनसा स्मरामि सदयां सर्वाथसिद्धिप्रदाम् ।। मातंगी माता की कथाः इस कथा के अनुसार मतंग ऋषि ने कई साल तक अनेक कष्ट सहते हुए कदंब वन में तपस्या की थी। उनकी तपस्या के कारण उनकी आंखों से एक उज्ज्वल ज्योति निकली और उसने लड़की का रूप धारण कर लिया। इन्हीं माता को मातंगी यानी मतंग ऋषि की पुत्री कहा गया।