मां ब्रह्मचारिणी का महत्व
नवरात्रि पर्व का दूसरा दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित है। माता के इस स्वरूप को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है, और छात्रों का जीवन तपस्वियों का ही जीवन माना जाता है। इसलिए इनकी पूजा बहुत अधिक शुभ फलदायी होती है। साथ ही ऐसे विद्यार्थी जिनका चंद्रमा कमजोर हो और उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता हो, निर्धारित लक्ष्य न पाने का डर लगता हो, तो उन्हें मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से शीघ्र शुभ फल मिल सकता है।विद्यार्थी ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (Ma Brahmacharini Puja Vidhi 2024)
- नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना विद्यार्थियों के लिए सबसे उत्तम साधाना बताई गई हैं ।
- दूसरे दिन रात को स्नानादि से शुद्ध होकर पूजा के लिए स्वयं, सफेद या पीले वस्त्र पहनें ।
- मां दुर्गा के मंदिर में जाकर या घर के ही पूजा स्थल में माता के सामने पीले कपड़े का छोटा सा आसन बिछाएं और उस पर पीले चावल की ढेरी बनाकर माता को प्रतीक रूप में स्थापित करें और एक ओर गाय के घी का दीपक जलाएं, दूसरी तरफ तांबे का एक कलश भी नारियल सहित स्थापित करें ।
- अगर गंगाजल हो तो आसपास थोड़ा सा छिड़क लें ।
- एक कुशा का पीला आसन बिछाकर उस पर बैठ जाएं ।
- मां ब्रह्मचारिणी को सफेद पदार्थों मिश्री, शक्कर या पंचामृत का थोड़ा सा भोग लगाएं, धूप, दीप, फूल अर्पित करें ।
- अब विद्यार्थी अपने स्वाधिष्ठान चक्र’ पर माता की प्रकाश ज्योति का ध्यान करते हुए मन में जो भी कामना हो मां ब्रह्मचारिणी को उसे पूरा करने की प्रार्थना करें ।
- मां ब्रह्मचारिणी के इस लघु मंत्र “ऊं ऐं नमः” का जप कम से कम 1100 बार सफेद स्फटिक की माला या फिर तुलसी का माला से करें ।
- जप पूरा होने के बाद नीचे लिखे मंत्र का भी 108 बार जप करें ।
मां ब्रह्मचारिणी मंत्र (brahmacharini mantra)
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥