ज्योतिष के जानकार पंडित एके शुक्ला के अनुसार ग्रहों में होने वाले इन परिवर्तनों से सभी 12 राशियों के जातक प्रभावित होंगे। तो चलिये जानते हैं कि बुध व देवगुरु बृहस्पति वक्री से मार्गी कब हो रहे हैं?
ग्रहों की चाल का ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व है, ऐसे में ग्रहों की वक्री और मार्गी चाल पर हर ज्योतिष का जानकार खास नजर रखता है। किसी ग्रह के मार्गी अवस्था में होने का अर्थ ये होता है कि वह अपनी सीधी चाल से गति कर रहा है। जबकि इसके विपरीत जब कोई ग्रह वक्री गति करता है इसका अर्थ ये होता है ये वह ग्रह उल्टी चाल चल रहा है।
ज्योतिष शास्त्र में जहां सूर्य और चंद्र कभी भी वक्री गति नहीं करते हैं, वहीं राहु और केतु हमेशा वक्री चाल में गोचर करते हैं। इस समय राहु और केतु के साथ ही बुध और गुरु भी वक्री गति कर रहे हैं। मकर राशि में इस समय गुरु शनि के साथ नीच राजभंग की युति बनाकर भ्रमण कर रहे हैं। जबकि बुध कन्या राशि में गोचर कर रहे हैं।
गुरु और बुध का व्यवहार
गुरु को ज्योतिष शास्त्र में विद्या का जबकि बुध को बुद्धि का कारक माना गया है। गुरु जहां ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक माना गया है,वहीं यह जातक को सुंदर और आकर्षक, भाग्यशाली के साथ ही उच्च शिक्षित, ज्ञानवान और उदारवादी विचारों वाला बनाता है।
जबकि बुध को गणित, तर्क शास्त्र, गायन, संचार, लेखन, वाणिज्य आदि का कारक माना गया है। वहीं यह माना जाता है कि ये जातक को वास्तविक कम उम्र का दिखाने के साथ ही उसके स्वभाव को सौम्य बनाने के अलावा ये व्यक्ति को तर्कसंगत, बौद्धिक रूप से धनी और कुशल वक्ता भी बनाता है।
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वक्री ग्रह का असर
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक किसी भी ग्रह के वक्री होने पर वह ग्रह अपना पूर्ण प्रभाव नहीं दे पाता, जिससे उसकी शुभता में कमी आ जाती है। वहीं माना जाता है कि ग्रह की इस स्थिति के कारण जातकों को परेशानियों और बाधाओं से दो चार होना पड़ता है। जन्म के समय पर ग्रहों की कमजोर और मजबूती पर भी यह स्थिति निर्भर करती है।
एक ही दिन दो ग्रह वक्री से होंगे मार्गी
हिंदू पंचांग के अनुसार सोमवार,18 अक्टूबर 2021 को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि पर गुरु के साथ ही बुध ग्रह भी मार्गी हो जाएंगे। इस समय जहां गुरु मकर राशि में वक्री से मार्गी होंगे, तो वहीं बुध कन्या राशि में मार्गी होंगे। इन दोनों प्रमुख ग्रहों के वक्री से मार्गी होने का असर सभी 12 यानि मेष से मीन तक की राशियों के जातकों पर पड़ेगा। इसके साथ ही इसका प्रभाव देश-दुनिया पर भी दिखेगा। जिसके कारण सेहत और धन के मामले में विशेष सावधानी बरतनी होगी।
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देवगुरु बृहस्पति के मार्गी होने का फल
जानकारों के अनुसार करीब 4 माह यानि 120 दिनों तक वक्री रहने के बाद देवगुरु बृहस्पति 18 अक्टूबर 2021 को मार्गी होने जा रहे हैं। गुरु में आ रहे इस बदलाव से गुरु की शुभता बढ़ने के साथ ही कोरोना जैसे संक्रमण में भी धीरे धीरे कमी आने की संभावना है। वहीं देव गुरु इस परिवर्तन के साथ ही शिक्षा, जॉब और बिजनेस से जुड़े लोगों को लाभ प्रदान करते दिख रहे हैं। गुरु की शुभता में वृद्धि के लिए अपनाएं ये उपाय
गुरु के उपाय
– गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा करें और पीली वस्तुओं को अर्पित करें।
– केले के पेड़ की पूजा करें।
– गुरुवार को व्रत रखने से भी गुरु की शुभता बढ़ती है।
– गुरुजनों का सम्मान करें और उन्हें उपहार दें।
गुरु का मंत्र- ॐ बृं बृहस्पते नम:।।
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गुरु का इन 6 राशियों पर ये होगा खास असर…
मेष राशि : अधिकारियों तारीफ के बीच व्यापार में फायदा के साथ ही परिवार का पूरा सहयोग मिलेगी।
वृषभ राशि : मान-सम्मान बढ़ने के साथ ही धन के मामले में भी लाभ होगा। जीवनसाथी का साथ मिलेगा।
सिंह राशि : नए अवसरों की प्राप्ति के बीच रिश्तों में सुधार होगा। शुभ समाचार मिलेगा।
वृश्चिक राशि : बेरोजगारों को नौकरी मिलने की संभावना के बीच संपत्ति विवाद हल होगा। आय में वृद्धि की संभावना।
मकर राशि: समय अच्छा रहेगा। ऑफिस और कारोबार दोनों में ही लाभ संभव।
कुंभ राशि : समाज में सम्मान वृद्धि के बीच ऑफिस में अधिकारियों का सहयोग मिलेगा। सफलता मिलेगी।
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बुध के मार्गी होने का फल
बुध ग्रह का अपने ही स्वामित्व वाली कन्या राशि में मार्गी होना अधिकांश राशियों को अच्छा फल प्रदान करेगा। वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि, तार्किक क्षमता और व्यवसाय का कारक ग्रह माना जाता है। बुध का ये परिवर्तन धनु को लाभ में देरी व कुंभ के लिए सेहत से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है। जबकि अन्य सभी राशियों के लिए बुध का मार्गी होना लाभप्रद रहेगा।
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बुध के उपाय
– श्रीगणेश के मंत्रों का जाप करें।
– बुधवार को व्रत रखने से भी बुध की शुभता में वृद्धि होती है।
– बुधवार को भगवान श्री गणेश की पूजा करें और दूर्वा को अर्पित करें।
– बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं।
– मामा और मातृकुल के संबंधियों का सम्मान करें और उन्हें उपहार भेंट करें।
बुध को प्रसन्न करने का मंत्र
‘ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’।।