एकादशी व्रत तिथि का प्रारंभः एक अप्रैल 1.58 एएम से
एकादशी व्रत तिथि का समापनः 2 अप्रैल 4.19 एएम
वैष्णव कामदा एकादशी व्रत की तारीख 2 अप्रैल
वैष्णव कामदा एकादशी पारण का समयः 3 अप्रैल 6.11 एएम से 6.24 एएम (द्वादशी तिथि 3 अप्रैल 6.24 एएम पर संपन्न हो रही है)
वैष्णव एकादशी किसके लिए
कभी-कभी एकादशी व्रत दो दिन के लिए हो जाता है, जब एकादशी व्रत दो दिन का पड़े तो स्मार्त और गृहस्थों को पहले दिन व्रत रखना चाहिए। वहीं दूसरे दिन दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी के दिन संन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं, वैष्णव संप्रदाय के लोगों को व्रत रखना चाहिए।
1. सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
2. घर के मंदिर में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
3. एक लोटे में जल, तिल, रोली, अक्षत लेकर भगवान का अभिषेक करें।
4. फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल अर्पित करें, धूप, दीप, दिखाकर पुष्प अर्पित करें।
5. शुद्ध घी का दीया जलाएं और विष्णुजी की आरती करें।
6. एकादशी कथा का पाठ करें या सुनें।
7. शाम को भगवान विष्णु की पूजा कर फलाहार करें।
8. भगवान विष्णु का भजन करते हुए रात्रि जागरण करें। विष्णु सह्स्त्रनाम, और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
9. श्रीविष्णु के मंत्रों का जाप करें, द्वादशी के दिन ब्राह्णण और गरीबों को भोजन कराएं।
10. गरीबों का दान दक्षिणा के साथ कंबल, गर्म कपड़े, तिल और अन्न का दान करें।
11. अब भोजन कर व्रत का पारण करें।
भगवान विष्णु के मंत्र
1. ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
2. ऊँ नमो नारायणाय नमः
3. ऊँ विष्णवे नमः
4. ऊँ हूं विष्णवे नमः
5. ऊँ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।