सिंधु घाटी सभ्यता से मिले जैन धर्म के अवशेष इस बात का प्रमाण हैं कि जैन धर्म सबसे प्राचीनतम धर्मों में से एक है। जैन ग्रंथों के मुताबिक जैन धर्म ‘वस्तु’ का स्वभाव समझाता है। इसीलिए जैन धर्म सदा अस्तित्व में रहेगा। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी थे। जिन्हें ऋषभनाथ, आदिनाथ एवं वृषभनाथ के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म स्थान अयोध्या को माना जाता है। जबकि हिंदू धर्म ग्रंथ में वैदिक दर्शन में ऋषभदेव को विष्णु के 24 अवतारों में से एक माना गया है।
जैन धर्म का परिचय
जैन शब्द की उत्पत्ति ‘जिन’ शब्द से हुई है और जिन का अर्थ है ‘जीतना, विजेता या विजय’ प्राप्त करना। इसलिए जैन का अर्थ है जिसने राग, मोह, द्वेष या स्वयं पर विजय प्राप्त कर ली हो।
जैन दर्शन के संप्रदाय
जैन दर्शन को मुख्य रूप से दो संप्रदायों मे बांटा गया है। एक श्वेताम्बर और दूसरा दिगम्बर।
यहां पढ़ें कौन हैं श्वेतांबर
1. श्वेत (सफेद) वस्त्र धारण करने वाले, श्वेतांबर कहलाते हैं।
2. इनके नियम सरल हैं।
3. श्वेताम्बर के भी दो संप्रदाय हैं।
1-मूर्तिपूजक तथा 2- स्थानकवासी
4. श्वेताम्बर स्त्री-मुक्ति का समर्थन करते हैं।
यहां जानें कौन हैं दिगम्बर
1. दिगंबर संप्रदाय में कोई भी वस्त्र धारण नहीं करते।
2. इनका नियम थोड़ा कठिन है।
3. ये स्त्री-मुक्ति का समर्थन नहीं करते हैं।
4. दिगम्बर संघ के चार भाग माने गए हैं
1- नंदीसंघ, 2- सेनसंघ, 3- सिंहसंघ, 4- देवसंघ
जैन धर्म में बताया गया है मोक्ष प्राप्ति का मार्ग
जैन धर्म के मुताबिक ‘जैन त्रिरत्न’ से मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। ये त्रिरत्न हैं- 1- सम्यक् दर्शन, 2- सम्यक् ज्ञान और 3- सम्यक् चरित्र।
क्या हैं जैन धर्म के त्रिरत्न
1. सम्यक् दर्शन – जैन धर्म ग्रंथों के सिद्धांतों और तत्वों के प्रति पूर्ण श्रद्ध का भाव।
2. सम्यक् ज्ञान – तत्वों का गहन अध्ययन और सम्पूर्ण ज्ञान।
3. सम्यक् चरित्र – जैन ग्रंथों व सम्पूर्ण ज्ञान के अनुसार आचरण (चरित्र)
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जैन धर्म के 7 तत्व
1. जीव
2. अजीव
3. आस्रव
4. बंध
5. संवर
6. निर्जरा
7. मोक्ष
जैन धर्म में ‘जीव व अजीव’ को द्व्र्य कहा जाता है एवं ‘आस्रव, बंध, संवर एवं निर्जरा’ को कर्म की प्रक्रिया कहा गया है।
जानें जैन धर्म में क्या है केवली
जैन धर्म मे मोक्ष प्राप्त करने वाले व्यक्ति को केवली कहा जाता है। यानी जो व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर ले तथा सभी धर्मों को जान लेता है, उसे केवली कहा जाता है। केवली दो प्रकार के होते हैं। एक सयोग केवली और दूसरा आयोग केवली।
जैन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थल और त्योहार
तीर्थ स्थल
सम्मेदशिखर, श्रवणबेलगोला, वाराणसी, अयोध्या, गिरनार पर्वत, कैलाश पर्वत, तिर्थराज कुंडलपुर (महाबीर स्वामी का जन्म स्थान), पावापुरी, बावनगजा, चम्पापुरी, राजगिर, पावापुरी, शत्रुंजय, इत्यादि तीर्थस्थल है।
प्रमुख त्योहार
जैन धर्म के प्रमुख त्योहार हैं दीपावली, रक्षाबंधन, श्रुत पंचमी आदि।
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जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के नाम
जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर माने गए हैं। पहले तीर्थंकर ऋषभदेव हैं तथा अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी को माना गया है।
यहां पढ़ें सभी 24 तीर्थंकरों के नाम
1. ऋषभदेव
2. अजितनाथ
3. सम्भवनाथ
4. अभिनंदन
5. सुमतिनाथ
6. पद्ममप्रभु
7. सुपाश्र्वनाथ
8. चंदाप्रभु
9. सुविधिनाथ
10. शीतलनाथ
11. श्रेयांसनाथ
12. वासुपूज्य
13. विमलनाथ
14. अनंतनाथ
15. धर्मनाथ
16. शांतिनाथ
17. कुंथुनाथ
18. अरनाथ
19. मल्लिनाथ
20. मुनिसुव्रत
21. नमिनाथ
22. अरिष्टनेमि
23. पाश्र्वनाथ
24. वर्धमान महावीर
जैन धर्म की ये प्रमुख बातें नहीं जानते होंगे आप
1. जैन धर्म के पहले संस्थापक ऋषभदेव हैं।
2. जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव हैं।
3. जैन धर्म के अंतिम और 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी है।
4. महावीर स्वामी का जन्म 540 ई. पू. माना गया है।
5. महावीर के बचपन का नाम वद्र्धमान था।
6. जैन धर्म के 2 मुख्य संप्रदाय हैं श्वेताम्बर और दिगम्बर।
7. जैन धर्म के त्रिरत्न जिनसे मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है, वे हैंं- सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र।
8. जैन धर्म में अनिश्वरवादी हैं, इसलिये यहां ईश्वर नहीं आत्मा की मान्यता है।
9. मौर्योत्तर युग में जैन धर्म का प्रसिद्ध केंद्र मथुरा था।
10. जैन धर्म मानने वाले राजा –
1- चंद्रगुप्त मौर्य
2- उदायिन
3- वंदराजा
4- कलिंग नरेश खारवेल
5- राजा अमोघवर्ष
6- चंदेल शासक आदि।