होलाष्टक को अशुभ मानने की कहानीः होलाष्टक को अशुभ मानने के पीछे दो कहानियां प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी। इससे क्रुद्ध भगवान शिव ने अपने तीसरी आंख से उन्हें भस्म कर दिया, यह घटना फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को घटी थी। इसके बाद से होलाष्टक मनाने की परंपरा शुरू हो गई।
इसके अलावा एक अन्य कथा के अनुसार होलिका के भक्त प्रह्लाद को गोद लेकर बैठने की घटना से पहले आठ दिन तक प्रह्लाद को प्रताड़ित किया गया था। विष्णुजी की भक्ति से प्रह्लाद को दूर करने के लिए उन्हें तरह-तरह की यातना दी गई थी। इस कारण इन आठ दिनों तक मंगल कार्य वर्जित रहते हैं।
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होलाष्टक 2023 में न करें ये कामः ज्योतिषियों का मानना है कि इस समय नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं। ग्रह अस्त और रूद्र अवस्था में रहते हैं। इस दौरान तांत्रिक क्रियाएं और टोटके किए जाते हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि इस समय किए जाने वाले शुभ कार्य भी अशुभ फल देते हैं।
होलाष्टक 2023 में न करें ये कामः ज्योतिषियों का मानना है कि इस समय नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं। ग्रह अस्त और रूद्र अवस्था में रहते हैं। इस दौरान तांत्रिक क्रियाएं और टोटके किए जाते हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि इस समय किए जाने वाले शुभ कार्य भी अशुभ फल देते हैं।
1. जानकारों का कहना है कि होलाष्टक में नए वाहन की खरीद नहीं करनी चाहिए।
2. होलाष्टक में जमीन, मकान और अन्य तरह की प्रॉपर्टी का लेनदेन नहीं करना चाहिए।
3. इस अशुभ समय में मांगलिक कार्य जैसे सगाई, शादी, मुंडन, उपनयन और गृह प्रवेश आदि नहीं करना चाहिए।
4. होलाष्टक में सोने चांदी के आभूषण की खरीद से परहेज किया जाता है।
5. होलाष्टक में धार्मिक अनुष्ठान वर्जित है।