-हरतालिका तीज में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू, रेत और काली मिट्टी से प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। फिर हाथ से बनाई गई इन्हीं प्रतिमाओं का पूजन किया जाता है।
-पूजा स्थल को फूलों से सजाएं और वहां एक चौकी रखें। उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
-इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
-इस व्रत में सुहाग की पिटारी का विशेष महत्व होता है। सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तुएं रखकर माता पार्वती को वो पिटारी अर्पित की जाती है। भगवान शिव को अंगोछा और धोती चढ़ाया जाता है।
-सुहाग सामग्री सास के या फिर घर की किसी बड़ी महिला के चरण को स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान दे देनी चाहिए।
-पूजन के बाद कथा जरूर सुनें और रात्रि भर जागरण करें। फिर व्रत के अगले दिन सुबह माता की आरती करें और सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोल लें।