आचार्य और महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि कहते हैं कि गुरु व्यक्ति ही नहीं, अपितु तत्व, विद्या और परंपरा है। साधना के गतिरोध काल, पराभव, विषमता में सबल आश्रय, सशक्त प्रेरणा और अज्ञानजन्य दुःख निवृत्ति निमित्त दिव्य सत्ता विवेक विचार का आत्म सामर्थ्य बनकर हमें अपने शाश्वत-अविनाशी स्वरूप बोध के लिए प्रेरित- उत्साहित करता है तथा जिनके आशीष अनुग्रह से अन्तस में समाहित दैवीय सामर्थ्य का जागरण होता है, ऐसे अकारण कृपालु श्री गुरुदेव को कोटि कोटि नमन।
मोटिवेशनल स्पीकर और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का कहना है कि गुरु का काम आपके लिए नौकरी ढूंढ़ना नहीं है और न ही कोई रिश्ता ढूंढ़ना है, गुरु का काम इसके आगे का है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि गुरु आपके अंतर को मुक्त करता है और यह विश्वास दिलाता है आपके अंतर में ही वह प्रकाश है और असीम ब्रह्म है जिससे मिलन ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य है।