गुरुद्वारों में होता है गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ
गुरुनानक देव ने जाति-पाति को मिटाने के लिए कई उपदेश दिए। उनकी जयंती को हर साल गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और गुरुद्वारों में दीपक जलाते हैं और मिठाइयों का भोग लगाते हैं। गुरुद्वारों में विशेष पाठ किया जाता है। समस्त सिख धर्म अनुयायी गुरु नानक देव जी का स्मरण करते हैं। साथ ही लोग गुरु नानक देव के आध्यात्मिक ज्ञान को याद करते हैं। लोग गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं।
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गुरु नानक के सिद्धांत निंबार्क जयंती
ज्योतिषाचार्य श्रीनरहरिदास के अनुसार श्री निम्बार्काचार्य का प्रादुर्भाव 3096 ईसा पूर्व (आज से लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व) हुआ था। श्री निम्बार्क का जन्मस्थान वर्तमान महाराष्ट्र के छत्रपती संभाजी महाराज नगर के निकट मूंगी पैठन में है। सम्प्रदाय की मान्यतानुसार इन्हें भगवान के प्रमुख आयुध सुदर्शन का अवतार माना जाता है। इसकी प्रमुख पीठ अजमेर जिले के नजदीक किशनगढ़ में सलेमाबाद निंबार्क तीर्थ के नाम से जाना जाता है। निम्बार्क का अर्थ है- नीम पर सूर्य। इसके संस्थापक भास्कराचार्य एक वैष्णव विरक्त संन्यासी थे। श्रीनिम्बार्काचार्य चरण ने ब्रह्म ज्ञान का कारण शास्त्र को माना है
गुरु नानक के सिद्धांत निंबार्क जयंती
ज्योतिषाचार्य श्रीनरहरिदास के अनुसार श्री निम्बार्काचार्य का प्रादुर्भाव 3096 ईसा पूर्व (आज से लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व) हुआ था। श्री निम्बार्क का जन्मस्थान वर्तमान महाराष्ट्र के छत्रपती संभाजी महाराज नगर के निकट मूंगी पैठन में है। सम्प्रदाय की मान्यतानुसार इन्हें भगवान के प्रमुख आयुध सुदर्शन का अवतार माना जाता है। इसकी प्रमुख पीठ अजमेर जिले के नजदीक किशनगढ़ में सलेमाबाद निंबार्क तीर्थ के नाम से जाना जाता है। निम्बार्क का अर्थ है- नीम पर सूर्य। इसके संस्थापक भास्कराचार्य एक वैष्णव विरक्त संन्यासी थे। श्रीनिम्बार्काचार्य चरण ने ब्रह्म ज्ञान का कारण शास्त्र को माना है