वहीं ज्योतिष के जानकारों ने कोरोना के बढ़ने और कमजोर पड़ने में ग्रहों की स्थिति का विशेष आंकलन किया है। जिसके बाद ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि कुछ विशेष ग्रहों की स्थिति कोरोना के बढ़ने में सहायक बनती है। वहीं इन ग्रहों के कुछ मजबूत होते ही कोरोना में कमी देखने को आती है।
ऐसे में एक बार फिर कोरोना की रफ्तार में इजाफा होता दिख रहा है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार गुरु की इस स्थिति को देखते हुए साफ प्रदर्शित होता है कि गुरु जब जब कमजोर स्थिति में आते है तब तब कोरोना मजबूत होता है। और एक बार फिर ऐसी ही स्थिति 14 सितंबर 2021 से शुरु होने जा रही है।
दरअसल सितंबर 2021 में तीसरा बड़ा परिवर्तन मकर राशि में होने जा रहा है, इस दौरान 14 सितंबर 2021 को बृहस्पति मकर राशि की ओर गोचर शुरु कर देंगे। इसके तहत बृहस्पति मकर राशि में नीच राजयोग बनाएंगे। वहीं इस परिवर्तन के बाद मकर राशि में गुरु व शनि देव की युति हो जाएगी।
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कब होगा बृहस्पति का ये परिवर्तन?
पंचांग के मुताबिक बृहस्पति 14 सितंबर 2021 से मकर राशि में गोचर शुरु करेंगे और 15 सितंबर 2021 को सुबह 4:22 बजे मकर में प्रवेश कर जाएंगे। फिर बृहस्पति मकर राशि में ही 20 नवंबर 2021 की सुबह 11:23 बजे तक रहने के बाद एक बार फिर कुंभ राशि में गोचर कर जाएंगे।
जानकारों के अनुसार बृहस्पति यानि गुरु की यहीं कमजोर स्थिति एक बार फिर कोरोना को बल प्रदान करती दिख रही है। लेकिन वहीं कोरोना की इस लहर का पीक अक्टूबर 2021 में आता दिख रहा है।
ऐसे समझें कोरोना की आने वाली रफ्तार:
कोरोना के संबंध में ज्योतिष के जानकार एके उपाध्याय के अनुसार कि पहले ये आंकलन था कि जब अप्रैल 2022 में राहु का अगला बदलाव मेष राशि में होगा, उसके आसपास वृषभ में अंतिम चरण के दौरान कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। लेकिन कोरोना से गुरु की जुड़ी स्थिति देखने के बाद अब जो स्थिति सामने आ रही है उसके अनुसार तीसरी लहर सितंबर 2021 से शुरु होकर अक्टूबर 2021 में अपना डरावना रूप दिखा सकती है।
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इसका कारण यह है कि जहां सितंबर 2021 के मध्य में गुरु मकर राशि में आकर नीचभंग योग का निर्माण करते दिख रहे हैं। वहीं इस समय शनि मजबूत व गुरु की स्थिति कमजोर रहेगी। लेकिन, सितंबर में यह इतना ज्यादा असर इसलिए नहीं दिखा पाएगा क्योंकि इस समय बुध व शुक्र स्वराशि में रहेंगे।
वहीं अक्टूबर 2021 में कोरोेना का एक बार फिर डरावना स्वरूप सामने आने के कारण ये हैं कि गुरु के नीच राशि में रहने के दौरान अक्टूबर 2021 में शुक्र – वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे, जिसके बाद कोरोना एक बार फिर अपने चरम पर जाता दिख रहा है। परंतु 20 नवंबर 2021 को गुरु के वापस कुंभ में आने के साथ ही कोरोना का प्रभाव में कमी देखने को मिल सकती है। वहीं ज्योतिष जानकारों के अनुसार 2022 में गुरु के मीन में प्रवेश व राहु के वृषभ से निकलकर मेष में जाने के साथ ही कोरोना काफी कमजोर पड़ जाएगा।
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गुरु की चाल से समझें कोरोना की अब तक की रफ्तार:
पंडित एके शुक्ला के अनुसार कि कोरोना से गुरु का जुड़ाव इसलिए है कि यदि हम 2020 से कोरोना की दोनो लहरों का ग्रहों की स्थिति को देखें तो जो बात सामने आती है उसके अनुसार जब 2020 में ये कोरोना हमारे देश में आया तब गुरु पर राहु की दृष्टि से एक चांडाल योग बना था। वहीं इसी समय सूर्य व राहु का ग्रहण दोष भी बना था।
ऐसे में जब तक ये चांडाल दोष बना रहा तब तक यानि मार्च से लेकर जून 2020 तक ये कोरोना अपनी चरम सीरमा पर पहुंचा, लेकिन जैसे ही गुरु चांडाल योग की स्थिति को छोड़ दूसरी राशि में गया, वैसे ही धीरे धीरे कोरोना वायरस का प्रकोप कम होता गया, लेकिन यह खत्म नहीं हुआ।
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इसके बाद 2021 मार्च में कोरोना एक बार फिर तेजी से फैला, यहां भी इसका कारण गुरु ही देखने में आया। दरअसल मार्च 2021 में गुरु एक बार फिर अपनी नीच राशि में प्रवेश कर गया, लेकिन इस समय चांडाल दोष नहीं था, इसके बावजूद कोरोना गुरु के नीच राशि में रहने तक विकराल स्थिति में बना रहा।