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Ganesh Utsav: गणपति को प्रसाद में क्यों चढ़ाते हैं मोदक, रोचक है कहानी

Ganesh Utsav आज 19 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी वार मंगलवार है। मान्यता है कि इस दिन विघ्नहर्ता गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए दुनिया भर में गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। आज के दिन से शुरू हो रही पूजा में गणेशजी को मोदक चढ़ाना अनिवार्य है, लेकिन क्या आप जानते हैं गणेशजी को मोदक क्यों चढ़ाया जाता है। जानिए भगवान गणेश के लिए मोदक प्रिय बनने की रोचक कहानी..

Sep 19, 2023 / 01:52 pm

Pravin Pandey

गणेशजी को मोदक क्यों चढ़ाते हैं

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रिद्धि सिद्धि के देवता गणपति के पूजन में प्रसाद के रूप में मोदक का भोग जरूर लगाना चाहिए। क्योंकि गणपति को मोदक पसंद है और इसके भोग से गणपति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। इसके पीछे की कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती एकांतवास में थे और उन्होंने गणपति को यहां किसी को न आने देने का निर्देश दे दिया था।

इसी बीच भगवान विष्णु के अवतार परशुराम वहां आ गए, जो भगवान शिव के शिष्य थे और महादेव का दर्शन करना चाहते थे। लेकिन गणेशजी ने उन्हें रोक दिया और कैलाश पर आने से रोके जाने से नाराज परशुरामजी गणपति से युद्ध के लिए उद्धत हो गए। गणेशजी और परशुराम के बीच युद्ध चल रहा था, उस दौरान परशुराम ने अपना परशु चला दिया, जो उन्हें महादेव ने दिया था। पिता के अस्त्र के सम्मान के लिए उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया और परशु के दांत से टकराने से गणपति का एक दांत टूट गया। बाद में जब दोनों को गलती का अहसास हुआ तो युद्ध रूका। लेकिन एक दांत टूटने से गणेशजी को खाने में काफी परेशानी होने लगी।

बाद उनके कष्ट को देखते हुए माता पार्वती ने पकवान बनाए जिससे उन्हें खाने में आसानी हो। उन्हीं पकवानों में से एक मोदक था, मोदक खाने में काफी मुलायम था। मान्यता है कि श्री गणेश को मोदक बहुत पसंद आया था और तभी से वो उनका पसंदीदा मिष्ठान बन गया था। इसलिए भक्त गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए मोदक का भोग लगाया जाने लगा। हालांकि मोदक के विषय में कुछ पौराणिक धर्मशास्त्रों में भी जिक्र किया गया है। मोदक का अर्थ होता है, खुशी या आनंद। गणेशजी को खुशहाली और शुभ कार्यों का देव माना गया है इसलिए भी उन्हें मोदक चढ़ाया जाता है।
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यहां जानें कैसी बनता है मोदक (Steps making modak)
पहले जहां मोदक केवल तरह से बनाया जाता था। अब इसकी लोकप्रियता बढ़ने से यह कई तरीकों से बनाया जाने लगा है। मोदक एक ऐसी मिठाई है जो गणेश चतुर्थी के दिन आपको बप्पा के मंदिर से लेकर लोगों के घरों तक देखने को मिलेगा। आज हम मोदक की सबसे ट्रेडिशनल रेसिपी सीखेंगे। यह रेसिपी कई वर्ष पहले से महाराष्ट्र के हर घर में बनती आ रही है। इसे हम उकडीचे मोदक, भाप वाले मोदक, स्टीम मोदक आदि नाम से जानते हैं। आइए जानें ट्रेडिशनल मोदक बनाने की विधि …
ट्रेडिशनल मोदक
ट्रेडिशनल मोदक बनाने की सामग्री


– चावल का आटा, गुड़, कच्चा नारियल, काजू, बादाम, किसमिस, खसखस, घी, इलाइची, नमक और पानी।


मोदक बनाने की विधि (Steps making modak)


1. सबसे पहले एक बर्तन में पानी को गर्म करें, अब पानी में एक चौथाई चम्मच नमक और एक चम्मच घी डालकर इसमें उबाल आने तक इसे गर्म करें। जब पानी में उबाल आ जाए तो गैस को बंद कर दें। अब इसमें चावल का आटा डालकर धीरे-धीरे चलाते हुए अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण के तैयार होने पर इसे 5 मिनट तक ढंक कर रख दें।
2. अब कढ़ाई में खसखस डालकर धीमी आंच पर भून लें। भुने हुए खसखस को एक अन्य बर्तन में निकाल लें। अब इसी कढ़ाई में गुड़ को भी पिघला लें। जब गुड पिघल जाए तो घिसे हुए नारियल को मिलाकर टाइट होने तक चलाते रहें। जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए तब इसमें भुने हुए खसखस, बारीक कटे काजू-बादाम, किसमिस और इलाइची पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिला लें, अब गैस को बंद कर दें। इस प्रकार मोदक में भरने के लिए मिश्रण तैयार हो गया है।

3. अब चावल के आटे को एक बर्तन में निकालें। हल्के घी लगे हाथों से इसे नरम होने तक गूंथे।
4. अब इस आटे की एक लोई लेकर इसके बीच में बनाए गए मिश्रण को भरते जाएं। धीरे-धीरे हल्के हाथों से इसे मोदक का आकार दे। मोदक का आकार देने के लिए आप बाजार में उपलब्ध मोदक के सांचे का भी उपयोग कर सकते हैं।
5. अब इस मोदक को 20 से 25 मिनट तक भाप में पकाएं। अब इसे एक अन्य थाल में निकाल ले। लीजिए भोग लगाने के लिए पारंपरिक मोदक तैयार हो गए हैं।
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