पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, इस बार अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3:53 बजे से शुरू होकर 1 नवंबर की शाम 6:17 तक रहेगी। ऐसे में अमावस्या की तिथि के दौरान दो दिन प्रदोष काल रहेगा, यानी अमावस्या दो दिन है।
लेकिन 1 नवंबर को सूर्यास्त शाम 5:40 बजे होगा। इसके बाद 37 मिनट तक अमावस्या रहेगी। ग्रंथों में इस बात का जिक्र है कि जिस दिन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के वक्त अमावस्या हो तब लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए। इस बात का ध्यान रखते हुए दीपावली 1 नवंबर को ही दिवाली मनाई जाएगी।
सूर्य और चंद्रमा एक साथ एक ही राशि और अंश में
Diwali Sanyog: भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस दीपावली पर सूर्य और चंद्रमा एक साथ एक ही राशि और अंश में रहेंगे। हालांकि ये स्थिति पिछले कई सालों से बन रही है। इस बार 1 नवंबर की अगर कुंडली देखी जाए तो सूर्य और चंद्रमा कार्तिक अमावस्या के दिन एक ही राशि और एक ही अंश में रहेंगे। शुक्रवार 1 नवंबर को प्रदोष काल में सूर्य और चंद्रमा का तुला राशि में समान अंश पर संयोग शाम 6:17 पर बन रहा है। इस दिन सूर्य 15 डिग्री और चंद्रमा 15 डिग्री पर रहेंगे। ये भी पढ़ेंः Diwali 2024: किस दिन दिवाली, तय करने के हैं ये 3 नियम, जानें धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु की गाइडलाइन
वृषभ काल ( लग्न ) – शाम 06:31 – रात 08:28 तक
सिंह काल ( लग्न ) – रात 01:01 – रात 03:17 तक
1 नवंबर को लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
प्रदोष काल ( लग्न ) – शाम 05:40 – रात 08:16 तकवृषभ काल ( लग्न ) – शाम 06:31 – रात 08:28 तक
सिंह काल ( लग्न ) – रात 01:01 – रात 03:17 तक
दीपोत्सव कैलेंडर (Deepotsav calendar)
मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 : धनतेरस (धन-त्रयोदशी) धनतेरस के निमित्त सायंकाल यम-दीपदान,बुधवार 30 अक्टूबर 2024 : नरक व रूप चतुर्दशी के निमित्त सायं दीपदान , श्री हनुमान जयंती
गुरुवार 31 अक्टूबर 2024 : नरक व रूप चतुर्दशी, प्रभात स्नान, अभ्यंग स्नान
शुक्रवार 01 नवम्बर 2024 : दीपावली, श्रीमहालक्ष्मी पूजन, देव-पितृ अमावस्या
शनिवार 02 नवम्बर 2024 :- अन्नकूट, गोवर्धन पूजा
रविवार 03 नवम्बर 2024 :- भैया दोज (भाई-दूज)
काशी के विद्वानों का कहना है कि 31 अक्टूबर को मनाएं दिवाली
काशी के विद्वानों का दिवाली पर मत
हाल ही में बीएचयू (BHU) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में काशी के विद्वानों की दिवाली की तिथि पर चर्चा हुई। इसके बाद राजकीय महाराज आचार्य संस्कृत महाविद्यालय जयपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो रामपाल शास्त्री, काशी अखिल भारतीय विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महासचिव कामेश्वर उपाध्याय और राजस्थान अखिल भारतीय विद्वत परिषद के प्रदेश अध्यक्ष प्रो, मोहन लाल शर्मा की ओर से जारी पत्र में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाने की अपील की गई है। उनके अनुसार दिवाली मनाने के लिए मुख्य काल प्रदोष में अमावस्या का होना जरूरी होता है। इस साल 31 अक्टूबर को प्रदोष (2 घंटे 24 मिनट) रहेगा और इसलिए 31 अक्टूबर को दिवाली मनाना सही होगा। डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। विद्वानों के अलग-अलग मत को देखते हुए इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ की सलाह लें और अपने आसपास की परंपराओं का ध्यान दें।