व्यापार वृद्धि यंत्र
दिवाली के दिन व्यापारी व्यापार वृद्धि यंत्र भी बनाते हैं। इसे भोजपत्र पर अष्टगंध की स्याही से और अनार के पेड़ की कलम से बनाया जाता है। अष्टगंध आमतौर पर सफेद चंदन, लाल चंदन, केसर, कस्तूरी, कपूर, अगर, तगर और कुमकुम से बनाया जाता है। परंपरागत रूप से इसे दिवाली पूजा के दौरान कार्यालय में बनाया जाता है। मान्यता है कि यह यंत्र व्यवसाय को बढ़ाने में मदद करता है। हालांकि यह जान लें कि व्यापार वृद्धि यंत्र लक्ष्मी गणेश यंत्र के समान नहीं है।
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महालक्ष्मी यंत्र पूजा और स्थापना
कार्तिक अमावस्या यानी दिवाली का दिन महालक्ष्मी यंत्र की पूजा करने और इसे घर और कार्यालय में स्थापित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है। देवी कमला जो दश महाविद्या में से एक हैं, देवी लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करती हैं। देवी लक्ष्मी को समर्पित सभी प्रकार की पूजाएं देवी कमला की साधना का हिस्सा हैं। यहां तक कि श्री सूक्त साधना भी देवी कमला को समर्पित है। इसलिए महालक्ष्मी यंत्र का मूल मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ यह देवी कमला को समर्पित है और महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण मंत्र है। इस मंत्र में 27 अक्षर हैं और इस कारण इसे देवी कमला का सप्तविंशाक्षर मंत्र भी कहा जाता है। महालक्ष्मी यंत्र पूजा इसी सप्तवैंशाक्षर मंत्र पर आधारित है। दीपावली के शुभ दिन पर वैदिक अनुष्ठान के साथ महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करने से घर में स्थायी धन और समृद्धि आती है।
महालक्ष्मी यंत्र पूजा और स्थापना
कार्तिक अमावस्या यानी दिवाली का दिन महालक्ष्मी यंत्र की पूजा करने और इसे घर और कार्यालय में स्थापित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है। देवी कमला जो दश महाविद्या में से एक हैं, देवी लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करती हैं। देवी लक्ष्मी को समर्पित सभी प्रकार की पूजाएं देवी कमला की साधना का हिस्सा हैं। यहां तक कि श्री सूक्त साधना भी देवी कमला को समर्पित है। इसलिए महालक्ष्मी यंत्र का मूल मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ यह देवी कमला को समर्पित है और महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण मंत्र है। इस मंत्र में 27 अक्षर हैं और इस कारण इसे देवी कमला का सप्तविंशाक्षर मंत्र भी कहा जाता है। महालक्ष्मी यंत्र पूजा इसी सप्तवैंशाक्षर मंत्र पर आधारित है। दीपावली के शुभ दिन पर वैदिक अनुष्ठान के साथ महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करने से घर में स्थायी धन और समृद्धि आती है।
श्री सूक्त यंत्र पूजा
श्री सूक्त धन और समृद्धि की देवी यानी देवी लक्ष्मी की महिमा गाने वाला वैदिक स्रोत है। यह स्तोत्र इतना पवित्र और शक्तिशाली है कि इसका उपयोग लक्ष्मी साधना के लिए किया जाता है। श्री सूक्त से श्री लक्ष्मी की पूजा को श्री सूक्त साधना कहा जाता है और यह श्री सूक्त यंत्र से की जाती है। श्री सूक्त यंत्र की स्थापना अनुष्ठानिक श्री सूक्त पूजा विधि के साथ-साथ अन्य वैदिक मंत्रों के साथ की जाती है। हालांकि,सरल यंत्र पूजा के लिए व्यक्ति को श्री सूक्त यंत्र को पूजा स्थान पर रखना चाहिए और दिवाली पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के साथ श्री सूक्त यंत्र की साधारण पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान श्री सूक्त स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि श्री सूक्त के पाठ से देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है और इसकी साधना से उपासक को लंबे समय तक धन और समृद्धि मिलती है।
श्री सूक्त धन और समृद्धि की देवी यानी देवी लक्ष्मी की महिमा गाने वाला वैदिक स्रोत है। यह स्तोत्र इतना पवित्र और शक्तिशाली है कि इसका उपयोग लक्ष्मी साधना के लिए किया जाता है। श्री सूक्त से श्री लक्ष्मी की पूजा को श्री सूक्त साधना कहा जाता है और यह श्री सूक्त यंत्र से की जाती है। श्री सूक्त यंत्र की स्थापना अनुष्ठानिक श्री सूक्त पूजा विधि के साथ-साथ अन्य वैदिक मंत्रों के साथ की जाती है। हालांकि,सरल यंत्र पूजा के लिए व्यक्ति को श्री सूक्त यंत्र को पूजा स्थान पर रखना चाहिए और दिवाली पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के साथ श्री सूक्त यंत्र की साधारण पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान श्री सूक्त स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि श्री सूक्त के पाठ से देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है और इसकी साधना से उपासक को लंबे समय तक धन और समृद्धि मिलती है।