ऐसा कहते हैं कि नानक देव जी जब आठ वर्ष के थे तब पहली बार अपने घर से अकेले निकल पड़े, सब घर वाले और पूरा गाँव चिंतित हो गया तब शाम को किसी ने नानक के पिता श्री कालू मेहता को खबर दी कि नानक तो श्मशान घाट में शांत बैठा है। सब दौड़े और वाकई एक चिता के कुछ दूर नानक बैठे हैं और एक अद्भुत शांत मुस्कान के साथ चिता को देख रहे थे, माँ ने तुरंत रोते हुए गले लगा लिया और पिता ने नाराजगी जताई और पूछा यहां क्यों आए।
नानक देव ने कहा पिता जी कल खेत से आते हुए जब मार्ग बदल कर हम यहां से जा रहे थे और मैंने देखा कि एक आदमी चार लोगों के कंधे पर लेटा है और वो चारों रो रहे हैं तो मेरे आपसे पूछने पर कि ये कौन सी जगह हैं, तो पिताजी आपने कहा था कि ये वो जगह है बेटा जहां एक न एक दिन सबको आना ही पड़ेगा और बाकी के लोग रोएगें ही।
विचार मंथन : उतावले उत्साही व्यक्ति से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिए- सरदार पटेल
बस तभी से मैनें सोचा कि जब एक दिन आना ही हैं तो आज ही चले और वैसे भी अच्छा नहीं है लगता अपने काम के लिए अपने चार लोगों को रूलाना भी और कष्ट भी दो उनके कंधो को, तो बस यही सोच कर आ गया। तब कालू मेहता रोते हुए बोले नानक पर यहां तो मरने के बाद आते हैं इस पर जो आठ वर्षीय नानक बोले वो कदापि कोई आठ जन्मों के बाद भी बोल दे तो भी समझो जल्दी बोला।
विचार मंथन: मैं नरक में जाकर वहां भी स्वर्ग का वातावरण उत्पन्न कर सकता हूं: संत इमर्सन
नानक देव ने कहा पिताजी ये ही बात तो मैं सुबह से अब तक जान पाया हूं कि लोग मरने के बाद यहां लाए जा रहे हैं, अगर कोई पूरे चैतन्य से यहां अपने आप आ जाऐ तो वो फिर कभी मरेगा ही नही सिर्फ शरीर बदलेगा क्योंकि मरता तो अंहकार है और जो यहां आकर अपने अंहकार कि चिता जलाता है वो फिर कभी मरता ही नहीं मात्र मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
***********