पं. सुनील शर्मा का कहना है कि कोरोना में शनि का अत्यधिक महत्व देखा गया है। इसके फैलने और आने के पीछे की वजह शनि की दशा ही रही है। हालांकि कोरोना के प्रसार में अब तक गुरु का भी अच्छा खासा हाथ देखने को मिला है, गुरु का नीचा होना कोरोना में वृद्धि करता है। इसके अलावा जातकों में कोरोना के फैलाव में राहु और केतु का प्रभाव भी रहता है.
शनि बदल रहे घरः पं. सुनील शर्मा का कहना है कि एक बार फिर शनि ऐसे घर में जा रहे हैं जहां वे इस प्रभाव को बढ़ाते दिखेंगे। यहां यह जान लेना बहुत जरूरी है कि शनि किसी भी राशि में जाने के कुछ समय पूर्व से ही अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं, वहीं शनि किसी राशि से निकलने के पश्चात भी कुछ दिनों तक अपना असर दिखाते रहते हैं.
ये भी पढ़ेंः Naye Sal Men Vrat Tyohar: इन त्योहारों के साथ मनेगा नए साल का जश्न, देखें जनवरी की लिस्ट इसलिए बढ़ रहा कोरोनाः वर्तमान में यदि हम कोरोना की स्थिति जानना चाहें तो इसके लिए हमें शनि की स्थिति को विशेष तौर पर देखना पड़ता है। ज्ञात हो शनि 17 जनवरी 2023 को अपनी ही राशि कुंभ में प्रवेश करने जा रहे हैं और शनि का कुंभ में प्रवेश कई मायनों में विशेष रहने वाला है। शनि के अपनी ही राशि में आने के प्रभाव से पहले ही कोरोना ने एक बार फिर सिर उठाना शुरू कर दिया है। जैसा कि पूर्व में बताया गया कि शनि किसी ग्रह में प्रवेश से पूर्व अपना प्रभाव दिखाने लगता है, उसी प्रकार शनि के कुंभ में आने से पहले ही कोरोना केस में उछाल देखने को मिल रहा है।
वहीं पं. सुनील शर्मा का आकलन है कि शनि के कुंभ में प्रवेश के बाद कोरोना अपनी अधिकतम स्थिति में पहुंचेगा। शनि का कुंभ में प्रवेश से पहले यानी करीब 9 से 12 जनवरी 2023 तक कोरोना अपनी पीक की ओर होगा और करीब 15 फरवरी तक पीक पर बना रहेगा। इस दौरान कभी कोरोना अत्यधिक ऊंचाई पर रहेगा और कभी कमजोर भी पड़ेगा। ग्रहों की दशा के अनुसार इसके चलते दुनिया की कुल आबादी का करीब 10 से 17 प्रतिशत हिस्सा इसके प्रभाव में आ सकता है।
ये भी पढ़ेंः New Year 2023: जानें किस दिशा में कैलेंडर लगाने में नुकसान, कहां होता है फायदा चीन में स्थिति होगी खराबः ग्रहों की स्थिति यहां यह भी दर्शा रही है कि कोरोना के चलते एक बार फिर कुछ जगहों पर मृत्यु का तांडव देखने को मिल सकता है। लेकिन यह जगह मुख्य रूप से वहां रहेगी, जहां अब तक कोरोनो को लेकर कोई मजबूत प्रिकॉशन नहीं अपनाया गया है । सबसे ज्यादा स्थिति चीन में खराब होती हुई दिख रही है। वहीं जहां एक तरफ चीन में सबसे अधिक लोग एक ही साथ इस नए वैरिएंट के ग्रसित रहेंगे.