इस संबंध में ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास का कहना है कि 6 मार्च को शाम 4.47 बजे चौदस समाप्त हो जाएगी, इसके बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी। भद्रा 6 तारीख की रात से लेकर 7 मार्च की सुबह 5.56 तक रहेगी। 7 मार्च को ही धुलेंडी मनाई जाएगी।
इस समय होलिका दहनः पं. व्यास के अनुसार होलिका का पूजन 6 मार्च की शाम प्रदोष काल में किया जा सकेगा, इसमें भद्रा का दोष मान्य नहीं है। चूंकि भद्रा काल में होलिका का दहन निषेध माना जाता है, इसलिए भद्रा समाप्त होने पर ही होलिका का दहन किया जाना चाहिए। सात मार्च को अल सुबह होली जलाई जाएगी। इसके बाद रंग-गुलाल के साथ होली इस बार 7 मार्च को खेली जाएगी।
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एक मत यह भीः वहीं होलिका दहन पर एक मत यह है कि होलिका दहन सात मार्च को होगा और होलिका दहन का मुहूर्त सात मार्च शाम को 6.24 बजे से 8.51 बजे तक है। इस तरह होलिका दहन के लिए इस साल दो घंटे 26 मिनट का मुहूर्त है। इसके बाद आठ मार्च को होली खेली जाएगी।
एक मत यह भीः वहीं होलिका दहन पर एक मत यह है कि होलिका दहन सात मार्च को होगा और होलिका दहन का मुहूर्त सात मार्च शाम को 6.24 बजे से 8.51 बजे तक है। इस तरह होलिका दहन के लिए इस साल दो घंटे 26 मिनट का मुहूर्त है। इसके बाद आठ मार्च को होली खेली जाएगी।
इस मत के अनुसार होलिका दहन के दिन सात मार्चको भद्रा पुंछा का समयः 1.02 से 2.09 बजे तक
इस मत के अनुसार भद्रा मुखा का समयः 2.19 से 4.48 बजे तक