पंचांग के अनुसार इस साल 14 मार्च से 13 अप्रैल तक खरमास है। यह महीना भगवान विष्णु, भगवान सूर्य और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महीना होता है। इसी बीच 9 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आदि शक्ति की पूजा का विशेष त्योहार चैत्र नवरात्रि 2024 यानी दुर्गा पूजा उत्सव शुरू हो रहा है। इस समय माता के 9 स्वरूपों की अलग-अलग दिन पूचा की जाती है। इससे यह पर्व विशेष हो गया है।
प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय का कहना है कि नवरात्रि बेहद शुभ और अबूझ मुहूर्त होता है। इस समय किए गए हर काम में माता दुर्गा के आशीर्वाद से सफलता मिलता है। इसमें खरमास का दोष नहीं लगता है। आचार्य वार्ष्णेय के अनुसार खरमास में चैत्र नवरात्रि शुरू होना लोगों के लिए बेहद शुभ है। लेकिन यदि चैत्र नवरात्रि में कुछ आसान वास्तु उपाय किए जाएं तो आसानी से माता का आशीर्वाद पाया जा सकता है। आइये जानते हैं वो वास्तु उपाय जो आपके जीवन में अहम बदलाव ला सकते हैं।
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चैत्र नवरात्रि कलशस्थापना: मंगलवार 9 अप्रैल 2024 को होगी
कलश स्थापना मुहूर्तः सुबह 06:05 बजे से 10:16 बजे
अवधिः 04 घंटे 11 मिनट
कलश स्थापना अभिजित मुहूर्तः सुबह 11:57 बजे से 12:47 पी एम
अवधिः 50 मिनट
चैत्र नवरात्रि कलशस्थापना: मंगलवार 9 अप्रैल 2024 को होगी
कलश स्थापना मुहूर्तः सुबह 06:05 बजे से 10:16 बजे
अवधिः 04 घंटे 11 मिनट
कलश स्थापना अभिजित मुहूर्तः सुबह 11:57 बजे से 12:47 पी एम
अवधिः 50 मिनट
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारंभः 08 अप्रैल 2024 को रात 11:50 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्तः 09 अप्रैल 2024 को रात 08:30 बजे
वैधृति योग प्रारम्भः 08 अप्रैल 2024 को शाम 06:14 बजे
वैधृति योग समाप्तः 09 अप्रैल 2024 को दोपहर 02:18 बजे
नोटः पंचांग के अनुसार घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर निषिद्ध वैधृति योग के दौरान है। ये भी पढ़ेंः Surya Mantra: सबसे आसान और शक्तिशाली सूर्य मंत्र विपत्ति से देते हैं छुटकारा, खरमास में इन मंत्रों से अर्घ्य का विशेष महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार नवरात्रि पूजा में नियमों का पालन बहुत जरूरी है, इसके लिए कलश की सही दिशा, मूर्ति स्थापना की सही जगह आदि की जानकारी बहुत जरूरी है। क्योंकि इनका हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आइये जानते हैं नवरात्रि पूजा के नियम..
पुराणों में कलश को भगवान विष्णु का रूप माना गया है। इसलिए नवरात्रि पूजा में सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि पूजा के लिए घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में कलश और माता की मूर्ति या फोटो की स्थापना करनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह स्थान देवताओं का है। इसलिए इस दिशा में मूर्ति और कलश की स्थापना करने से घर में सकारात्मकता बढ़ती है।
नवरात्रि पूजा के दौरान घर के मेन गेट पर माता लक्ष्मी के चरण चिन्ह लगाना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके घर पर माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा ही बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
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घर में नकारात्मकता खत्म करने के लिए नवरात्रि में घर के मुख्य द्वार पर “ऊँ” का निशान बनाएं या रेडीमेड ऊँ निशान चस्पा करें। मान्यता है कि इसके प्रभाव से आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाएगी।
घर में नकारात्मकता खत्म करने के लिए नवरात्रि में घर के मुख्य द्वार पर “ऊँ” का निशान बनाएं या रेडीमेड ऊँ निशान चस्पा करें। मान्यता है कि इसके प्रभाव से आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाएगी।
नवरात्रि में अपना व्यवसाय करने वाले लोगों को ऑफिस के मेन गेट पर एक बर्तन में जल भरकर उत्तर या पूर्व की दिशा में रखना चाहिए। इसमें पीले और लाल रंग के फूल भी डाल सकते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से करियर में कामयाबी मिलेगी और अगर कोई पेरशानी आ रही है तो उसका निदान हो जाएगा।
नवरात्रि में नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाई जाती है। इस ज्योति का स्थान भी वास्तु शास्त्र में बताया गया है। इसके अनुसार पूजा स्थान पर अखंड ज्योति को दक्षिण-पूर्व की दिशा में रखना शुभ है। वास्तु के अनुसार इस दिशा में अखंड ज्योति रखने से आपके घर के लोगों का स्वास्थ्य अच्छा होता है और आपको जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में विजय प्राप्त होती है।
(नोट-इस आलेख में दी गई जानकारियों पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं, www.patrika.com इसका दावा नहीं करता। इसको अपनाने से पहले और विस्तृत जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।)