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खाते समय रहें सावधान वर्ना भूत प्रेत खा जाएंगे भोजन, शंकराचार्य से जानिए इससे कैसे बचें

आपका कोई काम भूत प्रेतों के लिए मददगार हो, ऐसा आप नहीं चाहेंगे। लेकिन आपकी एक गलती से ऐसा हो सकता है, आइये इस बारे में जानते हैं कि ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से…

Jul 17, 2023 / 05:53 pm

Pravin Pandey

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भूत प्रेत को कैसे मिलता है खाना

आपकी गलती हो सकती है भूतों की मददगार
ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि भारतीय ग्रंथों में हर बात का एक विधान बताया गया है और उसका पालन न करने से हम नकारात्मक शक्तियों के मददगार बन सकते हैं। हमारी गलतियां उनको पोषण प्रदान कर सकती है और आपके इर्द गिर्द रहने के लिए आकर्षित कर सकती है तो आइये जानते हैं कि वह कौन सी गलती है जिसे करने से हमें बचना चाहिए..

खाते समय मुंह से गिरा अन्न मिलता है भूतों को
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अनुसार हमारे ऋषियों ने जीवन जीने से लेकर खाने तक के विधि विधान बताए हैं, फिर चाहे वह कैसा अन्न खाएं या खाते समय क्या सावधानी रखें। शंकराचार्य के अनुसार खाते समय हमें सावधानी से ऐसे भोजन ग्रहण करना चाहिए, जिससे कोई निवाला जमीन पर न गिरे। अगर यह कौर जमीन पर गिरता है तो संभव है कि इसे चीटियां या पशु खाएं या आसपास भटक रही नकारात्मक शक्तियां भूत प्रेत बेताल आदि खा जाएं।

यदि यह निवाला भूत प्रेतों को मिलता है तो इससे उन्हें पोषण मिलेगा और आपके पास रहने के लिए आकर्षित होंगे और आप विधि विधान से रहेंगे, खाते समय भोजन जमीन पर नहीं गिराएंगे तो उन्हें पोषण नहीं मिलेगा और आखिरकार वे आपके पास से भागने के लिए विवश हो जाएंगे।

शंकराचार्य के अनुसार आसुरी, नकारात्मक शक्तियां तभी तक हमारे आस पास रहती हैं, जब तक हम उन्हें अपने नकारात्क गतिविधियों से पोषण देते हैं। अगर हम विधिविधान से और वेदों में बताई विधि से सब काम जैसै नहाना, खाना, सोना करते हैं तो इन आसुरी शक्तियों को पोषण के लिए चार दाना भी नहीं मिलेगा और वे भाग जाएंगे। जबकि हमारे नकारात्मक कार्यों से उन्हें पेटभर खाना मिलेगा और वो आसपास बने रहेंगे।
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कौन होते हैं भूत
भूतों पर लोगों की अलग-अलग राय है, कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने भूत देखा है, हालांकि विज्ञान इसकी पुष्टि नहीं करता है और आध्यात्मिक लोगों की भी इस पर अलग-अलग राय है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जन्म मृत्यु के जीवन चक्र से मुक्ति के क्रम में आत्मा को 84 लाख योनियों से होकर भटकना पड़ता है और कर्मफल भुगतना पड़ता है ताकि वह परमात्मा से साक्षात्कार कर जीवन चक्र से मुक्ति का लक्ष्य प्राप्त कर सके।

इसी में जब कोई व्यक्ति कामनाओं के साथ भूखा-प्यासा, संभोग सुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाओं के साथ प्राण त्यागता है या कोई दुर्घटना, हत्या और आत्महत्या से प्राण त्यागता है वो भूत बनकर भटकता है। ऐसे व्यक्तियों को तृप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जो लोग अपने स्वजनों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते हैं वो उन अतृप्त आत्माओं से परेशान होते हैं।

वैसे, यह भी कहा जाता है कि आत्मा के मूलतः तीन शरीर होते हैं पहला स्थूल, दूसरा सूक्ष्म और तीसरा कारण। स्थूल शरीर की प्राकृतिक उम्र 120 वर्ष, सूक्ष्म शरीर की उम्र करोड़ों वर्ष, आत्मा का कारण शरीर अजर अमर माना जाता है। कहा जाता है कि स्थूल शरीर को योग, आयुर्वेद से 150 साल तक जीवित रखा जा सकता है। उसी तरह सूक्ष्म शरीर जितना मजबूत और स्वस्थ होता है। उतना ही शक्ति और सिद्धि संपन्न हो जाता है।

जानें किसे परेशान करते हैं भूत
1. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो लोग तिथि और पवित्रता का ध्यान नहीं देते, ईश्वर, गुरु का अपमान करते हैं। जो पाप कर्म में लगे रहते हैं वे आसानी से नकारात्मक शक्तियों के चंगुल में फंस जाते हैं।
2. जिन लोगों की मानसिक शक्ति कमजोर होती है, उन पर भूत आसानी से शासन करने लग जाते हैं। वे हमेशा डरे रहते हैं, भूत प्रेतों के बारे में सोचते भी अधिक हैं। जिनका व्यक्तित्व ज्यादा भावुक होता है, उन पर भी भूत प्रेत आसानी से नियंत्रण कर लेते हैं।

3. जो लोग निशाचरी वृत्ति के होते हैं, वे आसानी से भूतों का शिकार बन जाते हैं। रात्रि कर्म करने वाले भूत, पिसाच और राक्षस की योनि मानी जाती है।
4. जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु लग्न या अष्टम भाव में हो, उसे भूत के होने का अहसास होता है। वहीं राक्षसगण के लोगों के भूत के होने का तत्काल आभास हो जाता है।
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प्रेत लगा है इसकी पहचान कैसे होः इसकी पहचान किसी व्यक्ति की क्रिया या स्वभाव में बदलाव से की जाती है।

1. भूत पीड़ाः कहा जाता है किसी व्यक्ति को भूत से पीड़ित होने पर वह पागलों की तरह व्यवहार करने लगता है और वह व्यक्ति यदि मूढ़ है तो बुद्धिमानों की तरह बात करने लगता है। गुस्सा आने पर कई व्यक्तियों को एक साथ हरा सकता है, उसकी आंखें असामान्य रहती हैं, देह में कंपन रहता है।

2. पिशाच पीड़ाः कई ग्रंथों के अनुसार खराब कर्म करना पिशाच कर्म है, यदि कोई व्यक्ति पिसाच पीड़ा से प्रभावित है तो वह नग्न हो सकता है, नाली का पानी पीना, दूषित भोजन, कटु वचन कहना आदि उसके लक्षण हो सकते हैं। वह गंदा रहता है, उसकी देह से बदबू आने लगती है। वह एकांत चाहता है और कमजोर होता रहता है।

3. प्रेत पीड़ाः इससे पीड़ित व्यक्ति चिल्लाता रहता है, वह इधर उधर भागता नजर आता है।वह किसी का कहना नहीं सुनता, बुरी बातें बोलता रहता है। वह खाता-पीता नहीं, जोर-जोर से सांस लेता है।

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