सनातन धर्म में हर माह की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष, दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी पर रखा जाता है। इस व्रत में प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। शिवजी की प्रसन्नता से जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
मंगलवार को त्रयोदशी तिथि पड़ने पर इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत के दिन मंगलदेव की पूजा अर्चना भी की जाती है। यह स्वर्णिम मौका 23 जनवरी को आ रहा है जब भौम प्रदोष पड़ रहा है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार शिव पूजा के लिए यह बेहद शुभ मुहूर्त है। विशेष बात यह है कि इस दिन शिव पूजा से मंगल का दोष भी दूर होता है। मांगलिक दोष दूर करने के लिए भौम प्रदोष पर व्रत रखकर शिवजी के साथ मंगलदेव और हनुमानजी की पूजा भी करनी चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित अरूण बुचके बताते हैं कि इस दिन हनुमानजी के मंदिर में दीपक जलाएं और चोला भी चढ़ा सकते हैं। हनुमानचालीसा का सात बार पाठ करें। इन उपायों से बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। व्रत के प्रभाव से मंगल का अशुभ असर धीरे.धीरे कम होता है और शुभता बढ़ती है। इस तरह शादी में आती दिक्कतें दूर होने लगती हैं और दांपत्य जीवन में प्रेम भी बढ़ने लगता है।
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। इस दिन भगवान शिव के साथ मां पार्वती की भी निष्ठापूर्वक पूजा.अर्चना करना चाहिए। इससे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
प्रदोष व्रत के दिन क्या करें और क्या न करें
प्रदोष व्रत में पूजा अर्चना शाम के समय की जाती है।
पूजा में शिवलिंग का अभिषेक कर बेलपत्र और भांग अर्पित करें।
शिव चालीसा का पाठ करें और शिव मंत्रों का जाप करें।
भगवान शिव और पार्वतीजी को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
जरूरतमंदों को श्रद्धा अनुसार दान करें।
इस दिन तामसिक भोजन न करें।
प्रदोष व्रत में काले रंग के कपड़े नहीं पहनें।
शिवलिंग पर कुमकुम नहीं चढ़ाएं।
भौम प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त
पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 जनवरी को शाम 07.51 बजे से शुरू होगी और 23 जनवरी को रात 08.39 मिनट पर इसका समापन होगा। इस तरह उदया तिथि के अनुसार 23 जनवरी को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।