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अक्षय तृतीया पर बांके बिहारीजी के दर्शन से मिलता है यह विशेष लाभ, जानिए क्‍यों खास है यह दिन

Akshaya Tritiya : आप में से कई लोग बांके बिहारी का दर्शन किए होंगे, लेकिन उनके चरण नहीं देख पाएं होंगे। दरअसल पूरे साल बिहारीजी के चरण पोशाक में छिपे रहते हैं। अक्षय तृतीया पर ही उनका सर्वांग दर्शन मिलता है। इसके लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। आइये जानते हैं सिर्फ अक्षय तृतीया पर बिहारी जी के चरणों के दर्शन क्यों कराए जाते हैं और बांके बिहारी के चरण दर्शन के लाभ क्या हैं…

भोपालMay 10, 2024 / 02:12 pm

Pravin Pandey

Akshaya Tritiya : वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। यह तिथि बेहद खास होती है, क्योंकि यह तिथि भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को प्रिय है। क्योंकि इसी दिन सत युग और त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। इसी के साथ भगवान विष्णु के 4 अवतार परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव का प्राकट्य इसी दिन हुआ था। इसलिए यह अबूझ मुहूर्त है(इस दिन शुभ अशुभ समय की गणना की जरूरत नहीं पड़ती। इस दिन किए गए किसी अच्छे कार्य का अक्षय फल मिलता है। साथ ही भाग्य का साथ मिलने लगता है और उन्नति होती है।

इस साल अक्षय तृतीया शुक्रवार 10 मई 2024 को है। इससे जुड़ी कई अन्य मान्यताएं भी समाज में प्रचलित हैं। इनमें से एक वृंदावन के बांके बिहारी के चरणों के दर्शन का भी है। दरअसल, ठाकुर बांके बिहारी के चरण पूरे साल पोशाक में छिपे रहते हैं और उनके चरणों के दर्शन केवल अक्षय तृतीया पर ही मिलते हैं, जिन्हें देखने दूर-दूर से लोग वृंदावन पहुंचते हैं। आइये जानते हैं इसका रहस्य

अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी के चरणों के दर्शन

एक कथा के अनुसार सैकड़ों वर्ष पहले निधिवन में स्वामी हरिदास की भक्ति, आराधना से प्रसन्न होकर श्री बांके बिहारी जी प्रकट हुए थे। इसके बाद स्वामी हरिदास पूरी निष्ठा के साथ अपने प्रभु की सेवा करने लगे, वे उन्हें प्रिय व्यंजनों का भोग लगाते, उनकी पूजा करते। प्रभु की सेवा में रहते हुए उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई, उन्हें कहीं से मदद भी नहीं मिल पा रही थी, तब स्वामी जी को ठाकुर जी के श्री चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा (सोने की मुद्रा) प्राप्त हुई थी। स्वामीजी स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम करने लगे।
मान्यता है कि इसके बाद जब भी स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती तो उन्हें ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हो जाती। इसलिए बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन रोज नहीं कराए जाते हैं, उनके चरण पूरे साल पोशाक से ढंके रखे जाते हैं। साल में सिर्फ एक बार अक्षय तृतीया के दिन उनके चरणों के दर्शन कराए जाते हैं।
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ठाकुर जी के चरणों के नीचे खजाना

बांके बिहारी मंदिर यूपी के मथुरा जिले के वृंदावन धाम में रमण रेती पर है। बांके बिहारी भगवान कृष्ण के ही एक स्वरूप हैं। ये भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 1864 में कृष्ण भक्त स्वामी हरिदास ने कराया था। मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की मूर्ति खुद प्रकट हुई है और इस पवित्र भूमि पर आने मात्र से ही पापों का नाश हो जाता है। यह भी माना जाता है कि ठाकुरजी के चरणों में अपार खजाना है और ठाकुरजी के चरण के विलक्षण दर्शन करने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है। माना जाता है कि स्वामीजी ने ही चरणों का दर्शन न कराने की परंपरा शुरू की थी।

सुबह राजा का वेश, शाम को चंदन लेपन

अक्षय तृतीया पर ठाकुरजी सुबह राजा के भेष में चरण दर्शन कराते हैं। इस समय उनके चरणों में चंदन का सवा किलो वजन का लड्डू भी रखा जाता है। शाम को ठाकुर बांकेबिहारी के पूरे श्रीविग्रह पर चंदन लेपन होता है और आराध्य अपने भक्तों को सर्वांग दर्शन देते हैं।

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