इस साल अक्षय तृतीया शुक्रवार 10 मई 2024 को है। इससे जुड़ी कई अन्य मान्यताएं भी समाज में प्रचलित हैं। इनमें से एक वृंदावन के बांके बिहारी के चरणों के दर्शन का भी है। दरअसल, ठाकुर बांके बिहारी के चरण पूरे साल पोशाक में छिपे रहते हैं और उनके चरणों के दर्शन केवल अक्षय तृतीया पर ही मिलते हैं, जिन्हें देखने दूर-दूर से लोग वृंदावन पहुंचते हैं। आइये जानते हैं इसका रहस्य
अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी के चरणों के दर्शन
एक कथा के अनुसार सैकड़ों वर्ष पहले निधिवन में स्वामी हरिदास की भक्ति, आराधना से प्रसन्न होकर श्री बांके बिहारी जी प्रकट हुए थे। इसके बाद स्वामी हरिदास पूरी निष्ठा के साथ अपने प्रभु की सेवा करने लगे, वे उन्हें प्रिय व्यंजनों का भोग लगाते, उनकी पूजा करते। प्रभु की सेवा में रहते हुए उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई, उन्हें कहीं से मदद भी नहीं मिल पा रही थी, तब स्वामी जी को ठाकुर जी के श्री चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा (सोने की मुद्रा) प्राप्त हुई थी। स्वामीजी स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम करने लगे।मान्यता है कि इसके बाद जब भी स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती तो उन्हें ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हो जाती। इसलिए बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन रोज नहीं कराए जाते हैं, उनके चरण पूरे साल पोशाक से ढंके रखे जाते हैं। साल में सिर्फ एक बार अक्षय तृतीया के दिन उनके चरणों के दर्शन कराए जाते हैं।
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