नमो महाविद्या बरदा , बगलामुखी दयाल ।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ।।1।। नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी ।
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविद्या वरदानी ।। 2।।
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना ।।3 ।। स्वर्णाभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे ।
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला ।। 4 ।।
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा ।। 5 ।।
तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी ।
छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी ।। 6 ।।
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन ।।7 ।।
दुष्टोच्चाटन कारक माता, अरि जिह्वा कीलक सघाता ।
साधक के विपति की त्राता, नमो महामाया प्रख्याता ।।8 ।।
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी ।।9 ।।
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को, बुद्धि नाश कर कीलक तन को ।
हाथ पांव बांधहु तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ।।10 ।।
अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे ।।11 ।।
मूठ आदि अभिचारण संकट. राजभीति आपत्ति सन्निकट ।
ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे ।। 12 ।।
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर ।। 13 ।।
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी ।
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक, नमो नमो पीताम्बर सोहक ।।14 ।।
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता ।।15 ।।
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता ।
पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी ।।16 ।।
आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो ।।17 ।।
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूं निहोरी ।
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया ।।18 ।।
नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता ।।19 ।।
सौम्य रूप धर बनती माता, सुख सम्पत्ति सुयश की दाता ।
रौद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिह्वा में मुद्गर मारो ।।20 ।।
अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता ।।21 ।।
रिद्धि-सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल ।
मेरी सब बाधा हरो, मां बगले तत्काल ।।22
।। इति श्री बगलामुखी चालीसा पाठ समाप्त ।।
आरती करहुं तुम्हारी।
पीत वसन तन पर तव सोहै
कुण्डल की छबि न्यारी। कर कमलों में मुदगर धारै,
स्तुति करहिं सकल नर नारी ।
जय जय श्री बगलामुखी माता
सुर नर मुनि जय जयति उचारी।
जय जय श्री बगलामुखी माता त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब,
भक्ति सदा तव है सुखकारी।
जय जय श्री बगलामुखी माता पालन हरत सृजत तुम जग को,
सब जीवन की हो रखवारी ।।
जय जय श्री बगलामुखी माता
करहु ह्रदय मंह, तुम उजियारी।।
जय जय श्री बगलामुखी माता तिमिर नशावहु ज्ञान बढ़ावहु,
अम्बे तुमही हो असुरारी।।
जय जय श्री बगलामुखी माता सन्तन को सुख देत सदा ही
सब जन की तुम प्राण प्यारी।।
जय जय श्री बगलामुखी माता
ताको हो सब भव–भयहारी।।
जय जय श्री बगलामुखी माता प्रेम सहित जो करहिं आरती
ते नर मोक्षधाम अधिकारी।।
जय जय श्री बगलामुखी माता || दोहा ||
बगलामुखी की आरती, पढ़ै सुनै जो कोय।
विनती कुलपति मिश्र की, सुख सम्पति सब होय ।।
आदि शक्ति महारानी…, सबकी जग दाता ॥ ॐ जय बगला माता… सुन्दर वर्ण सुन्हरी मां धारण कीनों, मैय्या मां धारण कीनों ।
हीरा पन्ना आ दमके…, मां सब शृंगार लीनों ॥ ॐ जय बगला माता…
ऋद्धि सिद्धि चवर डोला वे… जग मग छवि छाता ॥ ॐ जय बगला माता… विष्णु सेवक तेरे सेवक शिव दाता, मैय्या सेवक शिव दाता ।
ब्रह्म वेद है वर्णत…, पार नहीं पाता ॥ ॐ जय बगला माता…
भक्तों को सुख देती… निशदिन मदमाती ॥ ॐ जय बगला माता… मां बगला जी की आरती निशदिन जो गावे, मैय्या निशदिन जो गावे ।
कहत सत्यानंद स्वामी…, भव से तर जावें ॥ ॐ जय बगला माता…