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बाबा नीम करोली; PM Modi से लेकर मार्क जुकरबर्ग तक हैं इनके भक्त? विश्व प्रसिद्ध है इनका कैंची धाम

Neem Karoli Baba (नीम करोली बाबा): भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी हस्तियां तक इनके भक्तों में शामिल हैं।

Jun 05, 2022 / 01:32 pm

Laveena Sharma

बाबा नीम करोली; PM Modi से लेकर मार्क जुकरबर्ग तक हैं इनके भक्त? विश्व प्रसिद्ध है इनका कैंची धाम

Neem Karoli Baba Ashram Kainchi Dham: नीम करौली बाबा या नीब करोरी बाबा (Neeb Karori Baba) की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा की ख्याति विश्वभर में है। कई लोग इन्हें भगवान हनुमान का अवतार तक मानते हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), हॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स (Julia Roberts) और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग (Facebook Founder Mark Zuckerberg) जैसी बड़ी हस्तियां तक इनके भक्तों में शामिल हैं। ये लोग बाबा के कैंची धाम आश्रम के दर्शन भी कर चुके हैं। बताया जाता है कि कैंची धाम की स्थापना बाबा ने साल 1964 में की थी।

अपने घर का कर दिया था त्याग: नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। इनका जन्म उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में करीब 1900 के आसपास हुआ माना जाता है। इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। साल 1958 में उन्होंने अपना घर त्याग दिया था। इसके बाद ये पूरे उत्तर भारत में साधुओं की तरह विचरण करने लगे थे और इन्हें कई अलग-अलग नामों से पहचाना जाता था। कोई इन्हें लक्ष्मीदास तो कोई हांडी वाले बाबा और कोई तिकोनिया वाले बाबा के नाम से पुकारता था। गुजरात में इन्होंने ववानिया मोरबी में तपस्या की थी तो लोग इन्हें तलईया बाबा के नाम से भी पुकारने लगे थे। उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 में वृंदावन में किया था।

नीम करोली बाबा का आश्रम: बाबा का आश्रम उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी पर बसा है। ये आश्रम समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित है। जो भक्तों के बीच कैंची धाम के नाम से लोकप्रिय है। माना जाता है कि साल 1961 में बाबा नीम करौली पहली बार यहां आए थे। उन्होंने अपने मित्र पूर्णानंद के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। फिर 1964 में इस आश्रम की स्थापना हुई थी। कहा जाता है कि यहां जो भी व्यक्ति मुराद लेकर आता है तो वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता है। ये बाबा का समाधि स्थल भी माना जाता है।

हनुमान जी के भक्त थे बाबा नीम करोली: ऐसा कहा जाता है कि बाबा को 17 साल की उम्र में ही ईश्वर के बारे में विशेष ज्ञान प्राप्त हो गया था। वो हनुमान जी को अपना गुरु मानते थे। बाबा ने अपने जीवनकाल में हनुमान जी के करीब 108 मंदिर बनवाए हैं। मान्यता है कि बाबा नीम करोली ने हनुमान जी के अराधना से ही कई चमत्कारी सिद्धियां प्राप्ति की थी। बाबा एक दम सादा जीवन जीते थे। किसी को अपने पैर तक नहीं छूने देते थे। आडंबरों से दूर रहते थे।

बाबा नीब करौरी धाम के चमत्कारी किस्से:
-एक जनश्रुति ये है कि एक बार भंडारे के दौरान जब घी की कमी पड़ गई थी तब बाबा के आदेश पर पास की नदी से जल भरकर लाया गया। माना जाता है कि प्रसाद में इस्तेमाल किया गया वो जल घी में बदल गया।

-एक दूसरी जनश्रुति अनुसार बाबा ने कड़ी धूप में अपने एक भक्त को बादल की छतरी बनाकर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाया था।

-बाबा के भक्त और लेखर रिचर्ड अल्बर्ट ने बाबा पर लिखी पुस्तक ‘मिरेकल ऑफ लव’ में उनके चमत्कारों के बारे में बताया था।

-एक बार फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे। लेकिन बाबा के पास टिकट नहीं था। जिस कारण टिकट चेकर ने उन्हें अगले स्टेशन ‘नीब करोली’ में उतार दिया था। लेकिन जैसी ही ट्रेन चलाने के लिए गार्ड के हरी झंडी दिखाई तो ट्रेन एक इंच भी नहीं चली। कई बार कोशिश करने के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली तो मजिस्ट्रेट जो बाबा को जानता था उसने ऑफिशल्स को बाबा से माफी मांगने को कहा। ऑफिशल्स ने बाबा से मांफी मांगी और उन्हें सम्मान से ट्रेन में बैठाया। बाबा के बैठते ही ट्रेन चल पड़ी। कहते हैं तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया।

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