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Aja Ekadashi 2022: अगस्त में कब है अजा एकादशी, जानें अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य देने वाले इस व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

Aja Ekadashi Vrat 2022: एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। वहीं अजा एकादशी का व्रत भाद्रपद मास में पड़ता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने और विष्णु जी के पूजन से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।

Aug 09, 2022 / 12:44 pm

Tanya Paliwal

Aja Ekadashi 2022: अगस्त में कब है अजा एकादशी, जानें अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य देने वाले इस व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

Aja Ekadashi Vrat 2022 Date, Shubh Muhurat, Puja Vidhi And Significance: हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर साल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं। ये व्रत भगवान विष्णु को समर्पित हैं। इनमें से एक अजा एकादशी का व्रत भाद्रपद (भादो) मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आता है। इस साल अजा एकादशी का व्रत 23 अगस्त 2022 को रखा जाएगा। आइए जानते हैं इस व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व के बारे में…

अजा एकादशी 2022 तिथि
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ सोमवार, 22 अगस्त 2022 को सुबह 03 बजकर 35 मिनट से होगा और एकादशी तिथि का समापन मंगलवार, 23 अगस्त 2022 को सुबह 06 बजकर 06 मिनट पर होगा।

अजा एकादशी व्रत की पूजा विधि
अजा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निपटकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत में बाल धोकर नहीं नहाना चाहिए। वहीं इस दिन साबुन और शैंपू के इस्तेमाल की भी मनाही है।

इसके बाद घर के पूजा स्थल की सफाई करके पूर्व दिशा की तरफ एक लकड़ी की चौकी रखें। इस पर एक पीला कपड़ा बिछाएं। इसके पश्चात चौकी पर भगवान विष्णु की या तस्वीर स्थापित करें। विष्णु जी को चंदन का तिलक लगाकर अक्षत, फूल, माला, फल और नैवेद्य आदि अर्पित करें। ध्यान रहे कि विष्णु जी की पूजा में तुलसी दल जरूर चढ़ाएं। पूजन के बाद अजा एकादशी व्रत की कथा पढ़ें और सुनें। माना जाता है कि इस दिन विष्णु चालीसा और विष्णु स्तुति का पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आती है। फिर आखिर में भगवान विष्णु की आरती उतारें।

अजा एकादशी व्रत का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने समय में अश्वमेध यज्ञ किया था और इसी यज्ञ के फलस्वरूप उन्हें लव कुश से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था। धार्मिक मान्यता है कि अजा एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य के पिछले जन्म के सभी पापों का नाश होता है और उसे अश्वमेध यज्ञ को करने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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