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Ahoi Ashtami Puja Vidhi: संपूर्ण फल के लिए इस विधि से करें अहोई अष्टमी पूजा, संतान को नहीं होगा कष्ट

Ahoi Ashtami Puja Vidhi: अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण अष्टमी यानी दिवाली उत्सव से लगभग 8 दिन पहले रखा जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत और पूजा, माता अहोई (गौरा पार्वती) को समर्पित है। स्त्रियां अपनी संतान की प्रसन्नता और दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं। आइये जानते हैं अहोई अष्टमी की पूजा विधि (Ahoi Ashtami Vrat Vidhi) ..

जयपुरOct 24, 2024 / 12:36 pm

Pravin Pandey

Ahoi Ashtami Puja Vidhi Preparation : अहोई अष्टमी पूजा विधि

Ahoi Ashtami Puja Vidhi: अहोई अष्टमी पर माताएं पुत्रों की प्रसन्नता, उन्नति और दीर्घायु के लिए सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखती हैं। बाद में आकाश में तारों का दर्शन (कुछ लोग चंद्रमा का दर्शन कर व्रत पूरा करते हैं) करने के बाद व्रत का पारण करती हैं। आइये जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि..

अहोई अष्टमी व्रत विधि (Ahoi Ashtami Vrat Vidhi)

1.अहोई अष्टमी पर प्रातःकाल स्नान आदि के बाद संतान की कुशलता के लिए व्रत पालन का प्रण यानी संकल्प लें। संकल्प में व्रत में किसी भी प्रकार के अन्न-जल का सेवन न करने का वचन खुद को दें।
2. इसके बाद शाम की पूजा के लिए तैयारी करें, दीवार पर देवी अहोई की छवि बनाएं। पूजन के लिए प्रयोग की जाने वाली अहोई माता की किसी भी छवि में अष्ठ कोष्ठक, अर्थात आठ कोने होने चाहिए क्योंकि यह पर्व अष्टमी तिथि से संबंधित है। देवी अहोई के समीप सेही (सेई), अर्थात कांटेदार मूषक और उसके बच्चे की छवि भी बनाएं। यदि दीवार पर छवि की रचना करना संभव न हो, तो अहोई अष्टमी पूजा का मुद्रित चित्र भी प्रयोग किया जा सकता है।
3. पूजा स्थल को गंगा जल से पवित्र करें और अल्पना बनाएं। भूमि अथवा काष्ठ की चौकी पर गेहूं बिछाने के बाद पूजा स्थल पर एक जल से भरा कलश रखें, कलश का मुंह मिट्टी के ढक्कन से बंद कर दें।
4. कलश के ऊपर मिट्टी का एक छोटा बर्तन अथवा करवा रखें, करवा में जल भरकर ढक्कन से ढंक दें। करवा की नाल को घास की टहनियों से बंद करें। (सामान्यतः पूजन में प्रयोग की जाने वाली टहनियों को सरई सींक कहा जाता है, जो एक प्रकार का सरपत है। पूजा के समय अहोई माता एवं सेई को भी घास की सात सींक अर्पित की जाती हैं। अगर घास की टहनियां उपलब्ध न हों तो कपास की कलियां प्रयोग में ले सकते हैं)
5. पूजा में प्रयोग होने वाले खाद्य पदार्थों 8 पूड़ी, 8 पुआ और हलवा तैयार कर लें ( बाद में ये सभी खाद्य पदार्थ, परिवार की किसी वृद्ध महिला अथवा ब्राह्मण को दक्षिणा सहित प्रदान किए जाते हैं।)
6. दिन भर व्रत रखें

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अहोई माता पूजा विधि (Ahoi Ashtami Puja Vidhi)

1.सूर्यास्त के बाद अहोई माता की विधि विधान से पूजा करें ( परिवार की महिलाओं के साथ या अन्य महिलाओं के साथ अहोई अष्टमी पूजा की जाती है।)
2. माता को अक्षत, रोली, धूप, दीप और दूध अर्पित करें, सुबह तैयार की गई वस्तुएं माता को चढ़ाएं और चांदी की दो मोतियों सहित स्याऊ को धागे में पिरोकर गले में धारण करें।
3. पूजा के समय स्त्रियां अहोई माता की कथा सुनती या सुनाती हैं।

4. अहोई माता के साथ सेई की भी पूजा की जाती है और सेई को हलवा, सरई की सात सींकें अर्पित की जाती हैं।
(कुछ समुदायों में अहोई अष्टमी के अवसर पर चांदी की अहोई (स्याउ) भी निर्मित की जाती है)
5. पूजन के बाद अहोई अष्टमी की आरती गाएं।

6. इसके बाद परंपरा के अनुसार तारों या चंद्रमा को करवा या कलश से अर्घ्य अर्पित करें।

7. इसके बाद स्थानीय धार्मिक परंपरा के अनुसार व्रत का पारण करें।

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