इससे देवी प्रसन्न होती हैं, और संतान को खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देती हैं। इस साल अहोई अष्टमी पर साध्य योग और पुष्य नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। यह तिथि देवी अहोई की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जिन महिलाओं को संतान प्राप्ति में समस्याएं आ रही हैं उन्हें अहोई अष्टमी की पूजा व व्रत अवश्य करना चाहिए।
अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद और दिवाली से 8 दिन पहले होता है। इस व्रत में माता अहोई की पूजा की जाती है। इस योग में कुछ उपाय करने से संतान के जीवन में खुशियों का वास बना रहता है। साथ ही सभी समस्याएं भी दूर होती हैं। ऐसे में आइए इन उपायों के बारे में जानते हैं।
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अहोई अष्टमी की व्रत कथा (Ahoi Ashtami 2024)
Ahoi Ashtami 2024: एक साहूकार था जिसके सात बेटे और सात बहुएं थीं। दिवाली से पहले कार्तिक अष्टमी को सातों बहुएं अपनी इकलौती ननद के साथ जंगल में जाकर खदान में मिट्टी खोद रही थीं। वहां स्याहू की मांद थी। मिट्टी खोदते समय ननद के हाथ से स्याहू का बच्चा मर गया। इससे स्याहू माता बहुत नाराज हो गई और बोली- मैं तेरी कोख बांधूंगी। तब ननद अपनी सातों भाभियों से बोली- तुम में से कोई अपनी कोख बंधवा लो। सभी भाभियों ने अपनी कोख बंधवाने से इन्कार कर दिया। परन्तु छोटी भाभी सोचने लगी कि अगर मैंने अपनी कोख नहीं बंधवाई तो सासू जी नाराज होंगी। यह सोचकर ननद के बदले में छोटी भाभी ने अपनी कोख बंधवा ली। अब इसके बाद उसको जो बच्चा होता वह सात दिन का होकर मर जाता। फिर एक दिन पंडित को बुलाकर पूछा- मेरी संतान सातवें दिन क्यों मर जाती है ? तब पंडित ने कहा- तुम सुरही गाय की सेवा करो। सुरही गाय स्याहू माता की भायली है। वह तेरी कोख खुलवा देगी तब तेरा बच्चा जीएगा। अब वह बहुत जल्दी उठकर चुपचाप सुरही गाय के नीचे साफ-सफाई कर आती। सुरही गाय ने सोचा रोज़ उठकर कौन मेरी सेवा कर रहा है? सो आज देखूंगी। गऊ माता खूब सवेरे उठी। देखती है कि साहूकार के बेटे की बहू उसके नीचे साफ-सफाई कर रही है। गऊ माता उससे बोली क्या मांगती है ? साहूकार की बहू बोली- स्याहू माता तुम्हारी भायली है और उसने मेरी कोख बांध रखी है। सो मेरी कोख खुलवा दो। गऊ माता ने कहा अच्छा ठीक है। अब तो गऊ माता समुद्र पार साहूकार की बहू को अपनी भायली के पास लेकर चल पड़ी। रास्ते में कड़ी धूप थी। सो वह दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गई।
अद्भुत शुभ संयोग (Ahoi Ashtami 2024)
1. चंद्रमा के व्रत का प्रभाव: इस दिन चंद्रमा का उदय कुछ खास समय पर होगा, जिससे यह दिन विशेष शुभ माना जा रहा है। 2. पौष नक्षत्र: इस दिन पौष नक्षत्र में रहने से पूजा का फल और भी बढ़ जाता है, जिससे विशेष शुभता का अनुभव किया जा सकता है। 3. तिथि और वार का मिलान: 1 नंवबर, 2024 को यह विशेष तिथि अष्टमी के साथ शुक्रवार के दिन है, जो शुभ कार्यों के लिए बहुत अच्छा होता है। 4. विशेष योग: अहोई अष्टमी के दिन संभवतः “धनिष्ठा” या “पुण्य योग” जैसी अन्य सुखदायक स्थिति बन सकती है, जो पूजा की प्रभावशीलता को बढ़ाएगी।
5. सामाजिक एकता और प्रेम: इस दिन महिलाएं एकत्रित होकर अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए मिलकर पूजा करती हैं, जिससे एकता और सामूहिक प्रेम का माहौल बनता है। ये भी पढ़ेंः– Aaj Ka Rashifal 16 October कुंभ राशि वालों को आर्थिक लाभ, आज का राशिफल में सभी जानें अपना भविष्य
पूजा का शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2024)
अहोई अष्टमी का व्रत गुरुवार 24 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा। वहीं, इस दिन की पूजा का समय शाम 5 बजकर 42 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 59 मिनट तक का है, जो साधक इस तिथि पर व्रत का पालन करते हैं, उन्हें सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान संबंधी सभी समस्याओं से छुटकारा भी मिलता है। अहोई अष्टमी पूजा विधि : सबसे पहले अहोई अष्ठमी वाले दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें। उसके बाद अहोई माता की तस्वीर दीवार पर बनाए या फिर कैलेंडर लगाए। उसके बाद धूप, दीप और फूल माला चढ़ाने के बाद अक्षत रोली और दूध अर्पित करें. अहोई फिर माता को मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद अहोई माता की व्रत कथा पढ़े।