धर्म और अध्यात्म

दिल्ली के 5 प्रसिद्ध माता के मंदिर, घर बैठे करें दर्शन

भक्त माता जी के ऐसे मंदिरों को खोजते हैं जहां जाने से उनकी भक्ति की तपस्या सफल हो जाए।

Jan 12, 2018 / 08:45 am

Priya Singh

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दिल्ली में वैसे तो कई प्राचीन मंदिर स्थापित हैं। लेकिन अक्सर माता के भक्त माता जी के ऐसे मंदिरों को खोजते हैं जहां जाने से उनकी भक्ति की तपस्या सफल हो जाए। आज शक्रवार के इस शुभ दिन हम आपको दिल्ली के कुछ प्रमुख देवी मंदिरों के घर बैठे दर्शन कराएंगे।

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झण्डेवालान माता मंदिर- देश और दिल्ली के सुप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है झण्डेवालान माता मंदिर। ऐसा माना जाता है इस मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां हजारों की संख्या में भक्त माता रानी के दर्शन करने आते हैं। नवरात्रों के उत्सव में यहां इस मंदिर का परिसर भक्तों भरा पड़ा रहता है। इस मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है एक मान्यता के अनुसार मंदिर की स्थापना से पहले इस स्थान पर चारों तरफ केवल शांत वातावरण होने के कारण कई लोग प्रशिक्षण करने इस स्थान पर आते थे और उनमें से ही एक श्री बद्रीदास जी थे जो एक व्यापारी थे और वो माता रानी के भक्त थे एक दिन बद्रीदास जी जब प्रशिक्षण में मग्न थे तब उन्हें एहसास हुआ कि इस स्थान पर एक मंदिर भूमि में विफल है और उन्होंने भूमि की खुदवाई शुरू करवा दी। खुदवाई के समय उन्हें वहां से एक झण्डा और माता रानी की प्रतिमा वहां से मिली तब से इसका नाम झंडेवाला माता रख दिया गया।

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कालकाजी मंदिर- राजधानी दिल्ली में स्थित कालकाजी के इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। लेकिन मन्दिर का विस्तार पिछले 50 सालों में ही किया गया है, लेकिन मंदिर का सबसे पुराना हिस्सा अठारहवीं शताब्दी का है। यह मंदिर दक्षिणी दिल्ली के कालका जी में स्थित है। इसे मनोकामना सिद्धपीठ और जयंती काली पीठ भी कहा जाता है। माना जाता है कि असुरों द्वारा सताए जाने पर ब्रह्मा जी के कहने पर देवताओं ने (शिवा शक्ति) की आराधना की। देवी के प्रसन्न होने पर देवताओं ने उनसे असुरों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। शास्त्रों में ये उल्लेखनीय है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण पाण्डवों को लेकर यहां आए थे। उन्होंने मां काली की पूजा की और विजयी होने का वर प्राप्त किया।

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योगमाया मंदिर- योगमाया का मंदिर दिल्ली में कुतुबमीनार से बिल्कुल करीब है। यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण महाभारत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् पाण्डवों ने श्रीकृष्ण की बहन योगमाया के लिए किया था। तोमर वंश के राजपूतों ने जब दिल्ली को बसाया, तब उन्होंने देवी योगमाया की विधिवत पूजा-अर्चना शुरू की। कहा जाता है पाण्डव कालीन इस मंदिर की उचित देखभाल नहीं हुई।

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गुफा वाला मंदिर- पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार क्षेत्र में स्थित माता का मंदिर, ‘गुफा मंदिर’ के नाम से विख्यात है। गुफा के अंदर मां चिंतपूर्णी, माता कात्यायनी, संतोषी मां, लक्ष्मी जी, ज्वाला जी की मूर्तियां स्थापित हैं। गुफा में गंगा जल की एक धारा बहती रहती है। मंदिर का निर्माण सन 1987 में शुरू हुआ था और 1994 में मंदिर बनकर तैयार हो गया था।

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छतरपुर मंदिर- आद्या कात्यायिनी मंदिर या छतरपुर मंदिर दिल्ली के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है। यह मंदिर गुंड़गांव-महरौली मार्ग के निकट छतरपुर में स्थित है। छतरपुर स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर का शिलान्यास सन् 1974 में किया गया था। इसकी स्थापना कर्नाटक के संत बाबा नागपाल जी ने की थी। इससे पहले मंदिर स्थल पर एक कुटिया हुआ करती थी। आज वहां 70 एकड़ पर माता का भव्य मंदिर स्थित है। यह मंदिर माता के छठे स्वरूप माता कात्यायनी को समर्पित है। इसलिए इसका नाम भी कात्यायनी शक्तिपीठ पर रखा गया है।

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