must reed: रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी एनके आनंद ने बताया कि हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस बार इसकी तिथि को लेकर संशय है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को हरतालिका व्रत होता है। उस व्रत में यदि तृतीय एक मुहूर्तमात्र भी हो या उससे कम भी हो तो धर्म सिंधु के अनुसार पहली ही स्वीकार की गई है। इस मत के अनुसार इस वर्ष तृतीया का प्रवेश 1 सितम्बर रविवार को सुबह 8.27 से होकर अगले दिन सूर्योदय पूर्व प्रात: 4.57 पर ही समाप्त हो जाएगी इसलिए हरतालिका व्रत 1 सितम्बर 2019 रविवार को ही किया जाएगा।
must reed:गणेश चतुर्थी की रात विवाह बाधा दूर करने के 21 आसान उपाय ये है हरतालिका तीज की पूजन विधि
– हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। – प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय।
– हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। – प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय।
– हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है।
– संध्या के समय फिर से स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें।
– इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं।
– इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं।
– दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं।
– सुहाग की सामग्री को अच्छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें।
– शिवजी को वस्त्र अर्पित करें।
– अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें।
– इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें।
– अब भगवान की परिक्रमा करें।
– रात को जागरण करें।
– सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं।
– फिर ककड़ी और हल्वे का भोग लगाएं।
– भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें।
– सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें।
– संध्या के समय फिर से स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें।
– इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं।
– इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं।
– दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं।
– सुहाग की सामग्री को अच्छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें।
– शिवजी को वस्त्र अर्पित करें।
– अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें।
– इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें।
– अब भगवान की परिक्रमा करें।
– रात को जागरण करें।
– सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं।
– फिर ककड़ी और हल्वे का भोग लगाएं।
– भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें।
– सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें।
must reed: इस तरह का होना चाहिए गणपति का पूजा स्थल ये है हरतालिका तीज की पूजन सामग्री हरतालिका व्रत से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लें। इसमे गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध, शहद, मां पार्वती के लिए मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी।
must reed: भाद्रपद माह में भूलकर नहीं करें ये 5 काम, नहीं तो हो जाएंगे बर्बाद ये है हरतालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि: 01 सितंबर 2019 को सुबह 08 बजकर 27 मिनट से।
तृतीया तिथि समाप्त: 02 सितंबर 2019 को सुबह 4 बजकर 57 मिनट तक।
तृतीया तिथि: 01 सितंबर 2019 को सुबह 08 बजकर 27 मिनट से।
तृतीया तिथि समाप्त: 02 सितंबर 2019 को सुबह 4 बजकर 57 मिनट तक।
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युबह हरतालिका पूजा मुहूत: सुबह 08 बजकर 27 मिनट से सुबह 08 बजकर 35 मिनट तक।
युबह हरतालिका पूजा मुहूत: सुबह 08 बजकर 27 मिनट से सुबह 08 बजकर 35 मिनट तक।
भूलकर नहीं करें महिलाएं ये काम – हरितालिका तीज को सुहागिन महिलाओं का त्योहार है। – पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं इस व्रत को करती हैं। व्रत रखने के दौरान कुछ नियमों का पालन करना होता है।
– कई बार महिलाएं इसे भूल जाती हैं। जिसे व्रत करने के बाद भी उसका फल नहीं मिल पाता है।
– तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए। अपने गुस्से को शांत रखने के लिए महिलाएं अपने हाथों पर मेंहदी लगाती हैं। जिससे मन शांत रहता है।
– कई बार महिलाएं इसे भूल जाती हैं। जिसे व्रत करने के बाद भी उसका फल नहीं मिल पाता है।
– तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए। अपने गुस्से को शांत रखने के लिए महिलाएं अपने हाथों पर मेंहदी लगाती हैं। जिससे मन शांत रहता है।
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– मान्यता है कि व्रत रखने वाली महिलाओं को रात को सोना नहीं चाहिए। पूरी रात जगकर महिलाओं के साथ मिलकर भजन कीर्तन करना चाहिए।
– अगर कोई महिला रात की नींद लेती है तो ऐसी मान्यता है कि वह अगले जन्म अजगर का जन्म लेती है।
– इस दिन घर के बुजुर्गों को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए और उन्हें दुखी नहीं करना चाहिए।
– ऐसा करने वाले लोगों को अशुभ फल मिलता है।
– निर्जला व्रत के दौरान अगर कोई महिला रात में दूध पी लेती है तो पुराणों के अनुसार अगला जन्म उसका सर्प का होता है।
– मान्यता है कि व्रत रखने वाली महिलाओं को रात को सोना नहीं चाहिए। पूरी रात जगकर महिलाओं के साथ मिलकर भजन कीर्तन करना चाहिए।
– अगर कोई महिला रात की नींद लेती है तो ऐसी मान्यता है कि वह अगले जन्म अजगर का जन्म लेती है।
– इस दिन घर के बुजुर्गों को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए और उन्हें दुखी नहीं करना चाहिए।
– ऐसा करने वाले लोगों को अशुभ फल मिलता है।
– निर्जला व्रत के दौरान अगर कोई महिला रात में दूध पी लेती है तो पुराणों के अनुसार अगला जन्म उसका सर्प का होता है।