MUST READ : नवरात्रि व दिवाली पूजा में कलश स्थापना का महत्व ज्योतिषी रावल ने कहा कि इस बारे में देवी पुराण में विस्तार से उल्लेख है कि देवी का नाम दुर्गा किस आधार पर हुआ। असल में पूर्व के समय में दुर्गम नाम का एक दैत्य हुआ। दैत्य ने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर सभी वेदों को अपने वश में कर लिया जिससे देवताओं का बल क्षीण हो गया। तब दुर्गम ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। तब देवताओं को देवी भगवती का स्मरण हुआ। देवताओं ने शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ तथा चण्ड-मुण्ड का वध करने वाली शक्ति का आह्वान किया।
MUST READ : Dharma Karma जब देवी को खाने आया था शेर, फिर हुआ यह… दुर्गम की सेना का हुआ संहार ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि देवताओं के आह्वान पर देवी प्रकट हुईं। उन्होंने देवताओं से उन्हें बुलाने का कारण पूछा। सभी देवताओं ने एक स्वर में बताया कि दुर्गम नामक दैत्य ने सभी वेद तथा स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया है तथा हमें अनेक यातनाएं दी हैं। आप उसका वध कर दीजिए। देवताओं की बात सुनकर देवी ने उन्हें दुर्गम का वध करने का आश्वासन दिया। यह बात जब दैत्यों का राज दुर्गम को पता चली तो उसने देवताओं पर फिर से आक्रमण कर दिया। तब माता भगवती ने देवताओं की रक्षा की तथा दुर्गम की सेना का संहार कर दिया। सेना का संहार होते देख दुर्गम स्वयं युद्ध करने आया।
MUST READ : Dharma Karma : इस करवा चौथ 2019 पर करें यह टोटका, पति रहेगा काबू में इस वजह से नाम हुआ दुर्गा ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि तब माता भगवती ने दस महाविद्याओं में शामिल काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगला, गौरी आदि कई सहायक शक्तियों का आह्वान कर उन्हें भी युद्ध करने के लिए प्रेरित किया। भयंकर युद्ध में भगवती ने दुर्गम का वध कर दिया। दुर्गम नामक दैत्य का वध करने के कारण भी भगवती का नाम दुर्गा के नाम से भी विख्यात हुआ। इसलिए जब नवरात्रि 2019 में देवी दुर्गा का स्मरण करें तो इनके द्वारा किए गए इस कार्य को याद करते हुए ये भी कहना चाहिए कि जिस तरह देवी ने बुराई का अंत किया, उसी तरह हम भी अपने जीवन में सत्य के राह पर चलते हुए बुराई से बचे।