MUST READ : जब महात्मा गांधी ने रतलाम में कही थी ये बड़ी बात महात्मा गांधी की 150वीं जयंति रतलाम जिले में हर्ष के साथ मनाई जा रही है। प्रेम से जिन गांधी को बापू कहा जाता है वो रेलवे स्टेशन की बुक स्टॉल हो या रेल परिसर आज भी जिंदा है। रेलवे ने अपने स्क्रेप मटेरियल से बापू की मुर्ति बनवाई व उसको रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर चार पर लगाया। द मालवा रेल फेंस क्लब ने गांधी के विचार को अपनाते हुए 10 डस्टबिन स्टेशन के लिए दिए। सुबह से बापू को लेकर अनेक आयोजन चल रहे है। रेलवे स्टेशन पर विशेष स्वच्छता अभियान चला तो रेलवे अस्पताल में पौधारोपण किया गया। इसके अलावा शहर में रैली निकाली गई।
MUST READ : एक रोटी के लिए 90 मिनट इंतजार 1931 में आए थे पहली बार बता दे कि 1931 में रतलाम में दिल्ली से मुंबई जाते हुए महात्मा गांधी व जवाहर लाल नेहरू कुछ देर रुके थे। असल में वे जिस ट्रेन में थे, वो ट्रेन रेलवे स्टेशन पर 20 मिनट तक रुकी थी। ये खबर या सूचना पहले से थी बापू रतलाम से निकलने वाली ट्रेन में सवार है। इसके बाद हजारों की भीड़ स्टेशन पर जमा हो गई थी। तब बापू ने स्वच्छता व आजादी के आंदोलन दोनों को अपनाने की बात कही थी। रतलाम के ललित भाटी के अनुसार उनके पिता लहरसिंह भाटी तब स्वतंत्रता आंदोलन में थे। बापू को उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पिताजी से मिलवाया था। बाद में जब आजादी मिली तब भाटी के पिता को रतलाम रियासत में शिक्षा, नागरिक अधिकार के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय की जवाबदेही मिली थी। भाटी के अनुसार बापू आज भी विचारों में जिंदा है। वो किताब हो या स्वच्छता अभियान, बापू के बगैर अधूरे है।
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रेलवे स्टेशन पर सर्वोदय बुक स्टॉल चलाने वाले के शर्मा के अनुसार प्रत्येक माह बापू से जुड़ी किताबों की मांग होती है। जब गांधी जयंति करीब आती है तब ये मांग बढ़ जाती है। शर्मा के अनुसार महात्मा गांधी को भले विचारों से अहमत होकर गोली मार दी गई हो, लेकिन वे 150 साल बाद भी अपने बेहतर कार्यो की वजह से जिंदा है।
रेलवे स्टेशन पर सर्वोदय बुक स्टॉल चलाने वाले के शर्मा के अनुसार प्रत्येक माह बापू से जुड़ी किताबों की मांग होती है। जब गांधी जयंति करीब आती है तब ये मांग बढ़ जाती है। शर्मा के अनुसार महात्मा गांधी को भले विचारों से अहमत होकर गोली मार दी गई हो, लेकिन वे 150 साल बाद भी अपने बेहतर कार्यो की वजह से जिंदा है।