काले घोड़े की नाल की पहने अंगूठी
रतलाम के पं. दीपक शर्मा ने बताया कि प्रत्येक शनिवार को काले तिल, आटा, शक्कर, लेकर इन तीनों चीजों को मिला लें। उसके बाद ये मिश्रण चींटियों को खाने के लिए डाल दें। शनि से संबंधित बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए काले घोड़े की नाल या नाव की कील से अंगूठी बनाकर अपनी मध्यमा उंगली में शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय धारण करें। शनिदोष से मुक्ति हेतु शनिदेव के इन दस नामों का जाप करें। इसके साथ ही व्यक्ति को कार्यों में सफलता भी मिलती है। शनिदेव के नामों का कम से कम 108 बार जप करें। नाम इस प्रकार हैं.
रतलाम के पं. दीपक शर्मा ने बताया कि प्रत्येक शनिवार को काले तिल, आटा, शक्कर, लेकर इन तीनों चीजों को मिला लें। उसके बाद ये मिश्रण चींटियों को खाने के लिए डाल दें। शनि से संबंधित बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए काले घोड़े की नाल या नाव की कील से अंगूठी बनाकर अपनी मध्यमा उंगली में शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय धारण करें। शनिदोष से मुक्ति हेतु शनिदेव के इन दस नामों का जाप करें। इसके साथ ही व्यक्ति को कार्यों में सफलता भी मिलती है। शनिदेव के नामों का कम से कम 108 बार जप करें। नाम इस प्रकार हैं.
उड़द की दाल करें दान
कोणस्थ, पिंगल, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद, पिप्पलाश्रय दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए सामथ्र्य के अनुसार काले तिलए काला कपड़ा, कंबल, लोहे के बर्तन, उदड़ की दाल का दान करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं। बंदरों को गुड़ व चना खिलाने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। प्रत्येक शनिवार हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी का पूजन करने से व्यक्ति को शनि दोषों का सामना नहीं करना पड़ता।
कोणस्थ, पिंगल, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद, पिप्पलाश्रय दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए सामथ्र्य के अनुसार काले तिलए काला कपड़ा, कंबल, लोहे के बर्तन, उदड़ की दाल का दान करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं। बंदरों को गुड़ व चना खिलाने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। प्रत्येक शनिवार हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी का पूजन करने से व्यक्ति को शनि दोषों का सामना नहीं करना पड़ता।
नीले पुष्प करें अर्पित
शनिदेव की पूजा कर उन्हें नीले पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का रुद्राक्ष की माला में जप करें। मंत्र की जप संख्या 108 होनी चाहिए। ऐसा हर शनिवार करने से साढ़ेसाती और ढय्या से मुक्ति मिलती है। सुबह शीघ्र उठकर स्नादि कार्यों से निवृत होकर एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें। उसके बाद उस तेल को किसी जरुरतमंद व्यक्ति को दान कर दें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भाग्य संबंधी बाधाएं भी दूर होती हैं।
सुबह स्नान करने के बाद पीपल को जल अर्पित करें। इसके साथ ही सात परिक्रमा करें। सूर्यास्त के बाद सुनसान स्थान पर लगे पीपल के पास दीपक प्रज्वलित करें। यदि ऐसा न हो तो किसी मंदिर में लगे पीपल के पास भी दीपक प्रज्वलित किया जा सकता है। तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काले तिल डालें। उसके बाद ये जल शिवलिंग पर अर्पित करें। ऐसा करने से व्यक्ति को सभी रोगों से मुक्ति मिलेगी और भोलेनाथ की कृपा से आर्थिक तंगी दूर होगी। यह निश्चित है ईसम कोई संशय नहीं है।
शनिदेव की पूजा कर उन्हें नीले पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का रुद्राक्ष की माला में जप करें। मंत्र की जप संख्या 108 होनी चाहिए। ऐसा हर शनिवार करने से साढ़ेसाती और ढय्या से मुक्ति मिलती है। सुबह शीघ्र उठकर स्नादि कार्यों से निवृत होकर एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें। उसके बाद उस तेल को किसी जरुरतमंद व्यक्ति को दान कर दें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भाग्य संबंधी बाधाएं भी दूर होती हैं।
सुबह स्नान करने के बाद पीपल को जल अर्पित करें। इसके साथ ही सात परिक्रमा करें। सूर्यास्त के बाद सुनसान स्थान पर लगे पीपल के पास दीपक प्रज्वलित करें। यदि ऐसा न हो तो किसी मंदिर में लगे पीपल के पास भी दीपक प्रज्वलित किया जा सकता है। तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काले तिल डालें। उसके बाद ये जल शिवलिंग पर अर्पित करें। ऐसा करने से व्यक्ति को सभी रोगों से मुक्ति मिलेगी और भोलेनाथ की कृपा से आर्थिक तंगी दूर होगी। यह निश्चित है ईसम कोई संशय नहीं है।