रतलाम

कोरोना वायरस से अधिक खतरनाक है यह वायरस

कोरोना वायरस से भी अधिक खतरनाक वायरस के बारे में मध्यप्रदेश के रतलाम में जैन आचार्य विजयराज ने बताया है। जैन आचार्य के अनुसार इस वायरस से पेट से खराबी की शुरुआत होती है व यह पूरे घर को परेशान करके रख देता है। कोविड 19 में कोरोना के साथ साथ इस वायरस से बचने की भी जरुरत है।

रतलामMay 16, 2020 / 03:45 pm

Ashish Pathak

Strict prohibition in Corona positive area in bhilwara

रतलाम. कोरोना वायरस से भी अधिक खतरनाक वायरस के बारे में मध्यप्रदेश के रतलाम में जैन आचार्य विजयराज ने बताया है। जैन आचार्य के अनुसार इस वायरस से पेट से खराबी की शुरुआत होती है व यह पूरे घर को परेशान करके रख देता है। कोविड 19 में कोरोना के साथ साथ इस वायरस से बचने की भी जरुरत है।
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क्र्रोध ऐसा नशा है, जो शराब पिए बिना भी व्यक्ति को उन्मत बनाए रखता है। यह जीवन की सुंदरता, मधुरता, पवित्रता और सात्विकता को छिन्न – भिन्न कर देता है। आसुरी प्रकृति के लोगों में क्रोध की अधिकता पाई जाती है। क्षमा से विमुख होकर जोक्रोध को प्रश्रय देते है, वे अपने हाथों अपने पैरों पर कुल्हाडी चलाते है। कोरोना के इस संकटकाल में हर व्यक्ति को क्रोध के दुष्परिणामों का चिंतन करते हुए क्रोध मुक्ति का संकल्प करना चाहिए। सिलावटो का वास स्थित नवकार भवन में विराजित आचार्य ने धर्मानुरागियों को प्रसारित संदेश में कहा कि क्रोध का दूसरा नाम गुस्सा है, जो इन्सान को बर्बादी की और ले जाता है। गुस्से में अगर नौकरी छोडोगे, तो कॅरियर बर्बाद होगा, मोबाइल तोडोगे, तो धन बर्बाद होगा, परीक्षा नहीं दोगे, तो साल बर्बाद होगा और पत्नी पर चिल्लाओगे, तो रिश्ता बर्बाद होगा।
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खतरनाक वायरस की तरह है क्रोध

आचार्य ने कहा कि जिस व्यक्ति के शरीर में पित्त की अधिकता होती है, उसका मुंह कडवा रहता है। इसी प्रकार जो व्यक्ति क्रोध की उग्रता में रहता है, उसका स्वभाव भी कडवा रहता है। कडवे स्वभाव के कारण ही वह सबकों अप्रिय लगता है। उसके पास कोई बैठना नहीं चाहता और ना ही कोई उससे संबंध बनाना चाहता है। क्रोधी से हर कोई बचकर रहता है। कोरोना वायरस की तरह यह भी बेहद खतरनाक वायरस होता है। क्रोध एक संत को सांप बना देता है, तो क्षमा एक सांप को स्वर्ग का देव बना देती है। क्रोध से जहां स्वाभाविक शक्तियों का हास होता है, वहीं वैकारिक स्थितियों का विकास होता है। क्रोध में व्यक्ति वॉक संयम की परिधि को लांघ जाता है। इससे संघर्ष, लडाई-झगडे, व वाद-विवाद पैदा होते है। क्रोध सभी बुराईयों का सरताज है।
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