रतलाम

Digital Detox की तरफ बढ़ रहे अपने रतलाम के युवा

रतलाम के युवा भी डिजिटल डिटॉक्स को अपनाकर अपनी रुचि को पूरा कर रहे है। कोई संगीत में डूब रहा है तो कोई चित्रकारी कर रहा है।

रतलामJun 24, 2024 / 10:08 am

Ashish Pathak

रतलाम। एक समय था जब गांव की चोपाल हो या शहर के ओटले, आसपास की भाभियां, बड़े वृद्ध आपस में गपशप करते नजर आते थे। यहां तक की बच्चे मोहल्ले की गलियों में खेलते – दौड़ते रहते थे, यहां तक की जिनको चित्रकला, संगीत में रुचि हो, वे अपनी कला को पूरा समय देता था। दौर क्या बदला, अब मोहल्लों में ओटले, गलियों में दौड़भाग करते बच्चे, घर के बाहर कुर्सी पर बैठे वृद्ध धीरे – धीरे दिखना कम से हो गए है। इनकी जगह हाथ में मोबाइल ने ले ली है। बेशक मोबाइल बेहद काम व जरूरत की वस्तु है व यह दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है, लेकिन जिस तरह से इसके उपयोग से कई तरह की बीमारी बढ़ रही है, वो कहीं न कहीं इसके उपयोग की समय – सीमा को तय करने की जरूरत पर जोर दे रही है। ऐसे में अब महानगरों की तरह रतलाम के युवा भी डिजिटल डिटॉक्स को अपनाकर अपनी रुचि को पूरा कर रहे है। कोई संगीत में डूब रहा है तो कोई चित्रकारी कर रहा है।
पहले जाने क्या है डिजिटस डिटॉक्स

डिजिटल डिटॉक्स या सोशल मीडिया डिटॉक्स, एक निश्चित समय के लिए जान-बूझकर डिजिटल डिवाइसों से ब्रेक लेने की अवधि है। इसमें स्मार्टफ़ोन, कंप्यूटर, टैबलेट, टेलीविज़न, और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जैसे उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। डिजिटल डिवाइसों को नशे की लत के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो हमें विचलित रखते हैं और दिमाग़ को व्यस्त रखते हैं। कुछ समय के लिए इनसे दूर रहने से आपको फिर से जुड़ने और ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सकती है।
यह करने के कुछ फ़ायदे ये हैं

– मस्तिष्क बेहतर काम करेगा

– बेहतर नींद ले पाएंगे

– रियल सोशल वर्ल्ड में एंट्री

– तनाव से दूरी होती

डिजिटल डिटॉक्स बेहतर आइडिया
डिजिटल डिटॉक्स बहुत ही बेहतर आइडिया है। इससे हमें कुछ नया करने के लिए मंथन करने का टाइम मिला है, मैं चिंत्रकारी तो करती ही हूं, इसके साथ – साथ फैमिली के साथ टाइम बिताने का पूरा समय मिलता है।
– अक्षरा सिलावट (स्टूडेंट) – दीनदयाल नगर

बेहतर पर्यटन का लाभ

मैंने डिजिटल डिटॉक्स को अपनाया है। बगैर मोबाइल के दोस्तों के साथ बचपन की यादें ताजा करता हूं। इसके अलावा जब भी कहीं बाहर जाए तो बगैर मोबाइल के जाने से अधिक बेहतर पर्यटन का लाभ मिलेगा।
– राघवेंद्र सिंह चंद्रावत (स्टूडेंट) – सेमलिया

स्वयं के लिए समय निकालना जरूरी

मुझे अकेले रहना और प्रकृति के साथ समय बिताना पसंद है। डिजिटल डिटॉक्स अपनाती हूं। मैं अक्सर पेड़ – पौधों के साथ अपना समय बिताती हूं। इससे स्वयं को जानने मौका मिलता है। इसके साथ मुझे पढऩा पसंद है।
– अंजली सोनी स्टूडेंट – कस्तूरबा नगर

कई अन्य कार्य कर सकते

डिजिटल डिटॉक्स नयी चीज है, और यह भी धीरे धीरे लोगो के व्यवहार में आनी चाहिए। स्विमिंग, आउटडोर गेम्स, घर के काम आदि बहुत सारे ऐसे शोक है, जिसे हम स्क्रीनिंग टाइम के बदले में कर रहे है।
– श्रीकांत खरे (स्टूडेंट) -लकड़पीठा रोड

इसको उपवास की तरह लिया जाए

मोबाइल की आदत शरीर और मन दोनों को खराब कर रही है। इसमें आंखें, कान कमजोर होने के साथ साथ कई प्रकार के मानसिक रोग होने की भी संभावना रहती है। लोगो को डिजिटल डिटॉक्स को एक व्रत, उपवास की तरह लेना चाहिए।
– डॉ. निर्मल जैन, वरिष्ठ चिकित्सक

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