MUST READ : VIDEO दो हजार के नोट की गड्डी, हीरा मोती पन्ना से होता है यहां महालक्ष्मी मंदिर श्रृंगार महाबली रावण ने किए थे शरद पूर्णिमा के टोटके, आप भी करें मिलेगा लाभ
रतलाम के प्रसिद्ध Astrologer वीरेंद्र रावल ने बताया कि हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा के फेस्टीवल का विशेष महत्व है। ये मान्यता है कि इस दिन उपवास या व्रत करने से मन की हर मनोकामनाएं पूरी होती है। इस दिन को कोजागरी पूर्णिमा के नाम भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव धरती पर अपनी अमृत की विशेष बारिश करते है। इसी शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्मी और भगवा विष्णु की पूजा का विधान है।
MUST READ : करवा चौथ 2019 : पति से मिलेगा सम्मान, बस करें यह एक उपाय यहां पढे़ं शरद पूर्णिमा का महत्व रतलाम के प्रसिद्ध एस्टोलॉजर वीरेंद्र रावल ने बताया कि कहा जाता है कि जो विवाहित स्त्रियां इस दिन व्रत रखती हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। जो माताएं इस व्रत को करती हैं उनके बच्चे दीर्घायु होते हैं। अगर कुंवारी लड़कियां ये व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा पति मिलता है। इतना ही नहीं, अगर परिवार में प्रॉपर्टी को लेकर कोई विवाद हो तो वो भी एक वर्ष में हल हो जाता है। इस दिन प्रेमावतार भगवान श्रीकृष्ण, धन की देवी मां लक्ष्मी और सोलह कलाओं वाले चंद्रमा की उपासना से अलग-अलग वरदान प्राप्त किए जाते हैं। कहा जाता है कि इसी रात भगवान श्री कृष्ण ने महारास रचाया था।
MUST READ : शरद पूर्णिमा 2019 : व्रत, पूजा विधि, मुहूर्त, कथा, यहां पढे़ं बारिश के जाने का संकेत है रतलाम के प्रसिद्ध एस्टोलॉजर वीरेंद्र रावल ने बताया कि शरद पूर्णिमा का चांद और साफ आसमान बारिश के साथ मॉनसून के पूरी तरह चले जाने का संकेत है। पुराणों के अनुसार यह कहा गया है कि ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है।
MUST READ : शनिवार को किए इस 1 उपाय से उतरेगा कर्ज खीर रखने का है विशेष महत्व
रतलाम के प्रसिद्ध एस्टोलॉजर वीरेंद्र रावल ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात में खुले आसमान के नीचे दूध, शक्कर, पंचमेवा से बनी खीर रखने की भी परंपरा है। इस दिन लोग खीर बनाते हैं और फिर 12 बजे के बाद उसे प्रसाद के तौर पर गहण करते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा आकाश से अमृत बरसाता इसलिए खीर भी अमृत वाली हो जाती है। यह अमृत वाली खीर में कई रोगों को दूर करने की शक्ति रखती है। इसलिए इसके सेवन से विभिन्न प्रकार के रोग को भगाया जाता है।
रतलाम के प्रसिद्ध एस्टोलॉजर वीरेंद्र रावल ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात में खुले आसमान के नीचे दूध, शक्कर, पंचमेवा से बनी खीर रखने की भी परंपरा है। इस दिन लोग खीर बनाते हैं और फिर 12 बजे के बाद उसे प्रसाद के तौर पर गहण करते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा आकाश से अमृत बरसाता इसलिए खीर भी अमृत वाली हो जाती है। यह अमृत वाली खीर में कई रोगों को दूर करने की शक्ति रखती है। इसलिए इसके सेवन से विभिन्न प्रकार के रोग को भगाया जाता है।
MUST READ : इस करवा चौथ 2019 पर करें यह टोटका, पति रहेगा काबू में IMAGE CREDIT: NET शरद पूर्णिमा कब मनती है रतलाम के प्रसिद्ध एस्टोलॉजर वीरेंद्र रावल ने बताया कि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 13 अक्टूबर 2019 रविवार को है। इस तिथि की शुरुआत रात 12 बजकर 36 मिनट से होगी। 14 अक्टूबर को रात 2 बजकर 38 मिनट तक यह तिथि रहेगी। 13 अक्टूबर की शाम को 5 बजकर 26 मिनट पर चंद्र का उदय हिंदू पंचांग अनुसार होगा।
MUST READ : जब देवी को खाने आया था शेर, फिर हुआ यह… शरद पूर्णिमा व्रत विधि इस प्रकार है – पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए।
– इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए। – ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।
– लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। – रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
– मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है।
– ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है। – रात 12 बजे के बाद अपने परिजनों में खीर का प्रसाद बांटें।
– ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है। – रात 12 बजे के बाद अपने परिजनों में खीर का प्रसाद बांटें।