शर्त यह रहेगी कि स्कूल के टीचरों को उसे दो माह में विशेष पढ़ाई करवाकर परीक्षा लेनी होगी। इसके बाद भी वह प्रोन्नति की योग्यता नहीं प्राप्त कर पाता है तो उसे उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा।
केंद्र ने जारी किया गजट नोटिफिकेशन
भारत सरकार ने 16 दिसंबर को गजट नोटिफिकेशन के जरिये यह नया नियम लागू किया है। नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010 में संशोधन करके यह नया नियम तय किया गया है। पांचवीं या आठवीं में रोके गए विद्यार्थी की नियमित वार्षिक परीक्षा के साथ परीक्षा अगले सत्र में ली जा सकेगी। किसी भी बच्चे को स्कूल से निकाला नहीं जा सकेगा जब तक की वह पहली से आठवीं तक की प्रारंक्षिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर लेता।
टीचर की होगी जवाबदेही
नए नियम के अनुसार वार्षिक परीक्षा में प्रोन्नति की पात्रता नहीं पाने वाले विद्यार्थी की पात्रता बढ़ाने के लिए कक्षाध्यापक की जिमेदारी तय की गई है। वह परिणाम जारी होने से दो माह के भीतर बच्चे को विशेष कक्षाएं लगाकर प्रोन्नति की पात्रता हासिल करवाए। साथ ही उसके अभिभावकों से भी लगातार संपर्क करके उन्हें इसके लिए प्रेरित करे जिससे बच्चा पात्रता प्राप्त कर सके।