रतलाम

10 मई को शनि तो 11 मई को बृहस्पति हो रहे वक्री

आकाशगंगा के दो बडे़ गृह न्याय के देवता शनि व देव गुरु बृहस्पति इसी माह वक्री होने जा रहे है। इनके वक्री होने के कई प्रकार के फल देश से लेकर राशि वालों को मिलेंगे। रतलाम के दो बडे़ ज्योतिषी अभिषेक जोशी व वीरेंद्र रावल ने इन गृह के वक्री होने पर होने वाले फल के बारे में फोन पर विस्तार से बताया। ज्योतिषियों के अनुसार भय के बजाए आने वाला समय सतर्क रहने का है, जिससे हर बाधा में सफलता मिले।

रतलामMay 03, 2020 / 11:41 am

Ashish Pathak

10 मई को शनि तो 11 मई को बृहस्पति हो रहे वक्री

रतलाम. आकाशगंगा के दो बडे़ गृह न्याय के देवता शनि व देव गुरु बृहस्पति इसी माह वक्री होने जा रहे है। इनके वक्री होने के कई प्रकार के फल देश से लेकर राशि वालों को मिलेंगे। रतलाम के दो बडे़ ज्योतिषी अभिषेक जोशी व वीरेंद्र रावल ने इन गृह के वक्री होने पर होने वाले फल के बारे में फोन पर विस्तार से बताया। ज्योतिषियों के अनुसार भय के बजाए आने वाला समय सतर्क रहने का है, जिससे हर बाधा में सफलता मिले।
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ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने बताया कि 10 मई 2020 से शनि तो 11 मई से देव गुरु बृहस्पति वक्री हो रहे हैं। वक्री चाल को भारतीय ज्योतिष में उल्टी चाल भी कहते हैं। शनि व बृहस्पति इस समय मकर राशि में हैं, शनि जहां पर अगले ढाई वर्षो तक रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कोई ग्रह सीधी दिशा से चलते हुए उल्टी दिशा में चलने लगता है, तो इस गति को वक्री गति कहा जाता है। शनि देव मकर राशि में रहते हुए 11 मई से 29 सितंबर तक वक्री अवस्था में ही रहेंगे।
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शुभफल में वृद्धि करने वाले

ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि 11 मई 2020 दिन सोमवार को देवगुरू बृहस्पति नीच राशि मकर में वक्री हो जाएंगे। यहां से बृहस्पति स्वगृहाभिलाषी होंगे। अत: शुभफल में वृद्धि करने वाले होंगे। मकर राशि में शनिदेव भी स्वगृही गोचर कर रहे हैे। 10 मई को शनिदेव भी वक्री हो जाएंगे। ऐसे में मकर राशि मे शनि एवं गुरु वक्री गोचर करेंगे। जो शुभफल दायक स्थिति नही है। शनि न्यायाधीश है। न्यायाधीश का वक्री होना उनके सभी कारकत्वों में वक्री परिणाम प्राप्त होंगे। ज्योतिषियों ने कहा कि बृहस्पति का वक्री होने से उसके सभी कारकत्वों में वक्रत्व आ जाएगी, परंतु बृहस्पति अपनी नीच राशि मे जाकर वक्री होंगे फलत: पूर्णत: नकारात्मक नहीे होंगे। फिर भी शनि से पीडि़त अवश्य होंगे। इस कारण धार्मिक उन्माद, वायरस जनित रोगों में वृद्धि, तनाव की स्थिति होगी। क्योंकि अध्ययनों पर आकलन किया जाए तो जब- जब गुरु पीडि़त होगें तब तब इस तरह की स्थितियां उत्पन्न होती हैं।
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हम सबको चौकन्ना रहना होगा

ज्योतिषियों ने कहा कि हिंदी पंचांग अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी 29 जून 2020 दिन सोमवार को सुबह में 10 बजकर 10 मिनट पर धनु राशि में स्वगृही हो जाएंगे। देवगुरू वक्री गति से ही धनु राशि मे प्रवेश कर हो जाएंगे स्वगृही। जहां पुन: केतु के साथ गोचरीय संचरण करेंगे। राहु से दृष्ट होंगे गुरु चाण्डाल योग का निर्माण हो जाएगा। यह वही स्थिति है जब 4 नवम्बर 2019 को गुरु केतु के साथ धनु राशि मे गोचर प्रारम्भ किए थे उसके बाद ही चीन में कोरोना नामक वायरस का प्रकोप शुरू हुआ। इस प्रकार हम सबको चौकन्ना रहना होगा और यह वायरस पुन: अपना विस्तार कर सकता है। अत: विशेषकर 11 मई से 24 सितम्बर 2020 तक भूकंप, साम्प्रदायिक तनाव, सुनामी सहित अनेकों प्रकार के प्राकृतिक आपदा की भी संभावना दिख रही है।
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परिणाम शुभदायक नही दिख रहा

ज्योतिषियों ने कहा कि हिंदू पंचांग अनुसार अश्विन कृष्ण पक्ष दशमी 12 सितम्बर 2020 दिन शनिवार को धनु राशि मे ही मार्गी हो जाएंगे। फिर भी राहु से दृष्ट रहेंगे। इसलिए परिणाम शुभदायक नही दिख रहा है। यद्यपि यह स्थिति बहुत दिन नहीं रहेगी क्योंकि 24 सितम्बर 2020 दिन गुरुवार को राहु का गोचरीय परिवर्तन शुक्र की राशि वृष में और केतु का परिवर्तन मंगल की राशि वृश्चिक में हो जाएगा। तब देवगुरू धनु राशि में स्वगृही शुभकारक स्थिति में गोचर करेंगे। ज्योतिषियों ने कहा कि पुन: 19 नवम्बर 2020 दिन गुरुवार के दिन बृहस्पति दिन में 10 बजकर 40 बजे मकर राशि मे प्रवेश करेंगे जहां पर स्वगृही शनि के साथ लगभग 13 माह तक गोचरीय संचरण प्रारम्भ करेंगे। यहां भी गुरु नीच के होंगे और शनि से पीडि़त भी अत: पुन: समाज ,देश ,धर्म, शिक्षा व्यवस्था, तनाव की स्थितियां उत्पन्न हो सकती है।
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