विरियाखेड़ी से आगे जुलवानिया रोड पर करीब चार करोड़़ की लागत से पुलिस की रीजनल फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) बनकर तैयार हो गई है। इसमें पांच में से तीन अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी गई है। यही नहीं आधुनिक मशीनें भी आ चुकी है। इससे यह संभावना बन गई कि विभाग इसे एक से दो माह में शुरू कर देगा। ऐसा होता है तो यह आमजन के साथ-साथ पुलिस विभाग के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।
फिलहाल तीन जिलों के लिए रतलाम में बनी फॉरेंसिक साइंस लैब में लोड कम करने के लिए विभाग ने फिलहाल तीन जिलों रतलाम, मंदसौर और नीमच जिले के नमूनों की जांच की तैयारी रखी गई है। सूत्र बताते हैं कि इंदौर की लैब में जुड़े आठ जिलों से कुछ जिलों को रतलाम की लैब से अटैच करने के लिए कवायद चली थी जिसे फिलहाल खारिज कर दिया गया है।
चरणबद्ध तरीके से शुरू होंगी जांच फॉरेंसिक साइंस लैब के शुरू होने के बाद इसमें चरणबद्ध तरीके से जांच की संख्या बढ़ाई जाएगी। शुरुआती दौर में गैस क्रोमैटोग्राफी यानी विसरा सहित नारकोटिक्स की जांच की सुविधा होगी। इसके लिए मशीनें आ चुकी है। इसके बाद इसमें डीएनए जांच को भी शामिल किया जा सकेगा। हालांकि डीएनए जांच को शुरू करने में कुछ वक्त लगेगा।
80 फीसदी जांच हो सकेंगी रतलाम में फॉरेंसिक साइंस लैब शुरू होने के बाद पुलिस विभाग की 80 फीसदी जांचें इसी लैब में हो सकेंगी। ज्यादातर में रक्त, विसरा और 376 मामले में जांच पुलिस की जांच में शामिल रहती है। इन्हीं जांच के न केवल रतलाम वरन प्रदेश में इतने नमूने हो जाते हैं कि लैब से रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं।
ये जांच होंगी इस लैब में रीजनल फॉरेंसिक साइंस लैब रतलाम में शुरू होने के बाद टॉक्सोलॉजी, बायोलॉजी और नारकोटिक्स की जांच की जाएगी। वैसे फॉरेंसिक में नौ सेगमेंट की जांच होती है जिसमें अन्य कई प्रकार की जांचे शामिल होती है।
नारकोटिक्स जांचें भी होंगी रतलाम, मंदसौर और नीमच जिले से नारकोटिक्स के काफी नमूने निकलते हैं। रतलाम में लैब खुल जाने के बाद इन दोनों जिलों के भी नारकोटिक्स के नमूनों को जांच के लिए अन्य जिलों में नहीं भेजना पड़ेंगे।
यहां से भेजे अधिकारी फॉरेंसिक साइंस लैब के लिए प्रदेशभर में काम करने वाले वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की कमी बनी हुई है। ऐसे में रतलाम की लैब के लिए इंदौर, देवास और भोपाल की लैब से तीन अधिकारी भेजे हैं।
यह होगा फायदा – नमूनों की जांच के लिए पुलिस का समय और पैसा दोनों बचेगा। – पुलिसकर्मियों को सागर या भोपाल जाने से मुक्ति मिलेगी। – जल्द रिपोर्ट आने से केस स्टडी में ज्यादा समय मिल पाएगा।
– नया स्टाफ और आधुनिक मशीनें मिलने से फॉरेंसिक विभाग का विस्तार होगा। – उज्जैन में डीएनए जांच के लिए जल्द ही सुविधा शुरू होने से भी फायदा मिलेगा। सारी तैयारियां हो चुकी
फॉरेंसिक साइंस लैब शुरू करने की सारी तैयारियां हो चुकी है। मशीनें आ गई और तीन अधिकारियों की भी नियुक्त हो गई है। दूसरे कामों के लिए नियुक्तियां होनी हैं जो जल्द होगी। हम एक या दो माह में इसे शुरू करने की स्थिति में हैं।
अतुल मित्तल, एफएसएल अधिकारी